नेपाल के राजा की योगी से नजदीकी, भारत संग यूं ही दोस्‍ती नहीं बढ़ा रहे पीएम प्रचंड

काठमांडू/नई दिल्‍ली

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत की राजधानी नई दिल्‍ली पहुंचे हैं। पीएम प्रचंड का एयरपोर्ट से लेकर नेपाली दूतावास तक भव्‍य स्‍वागत किया गया। प्रचंड 4 दिन के दौरे पर भारत आए हैं और उनकी यात्रा में मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन का महाकालेश्‍वर मंदिर भी शामिल है। नेपाल में वामपंथी राजनीति करने वाले प्रचंड का शिव मंदिर जाना बहुत आश्‍चर्य से देखा जा रहा है लेकिन विश्‍लेषक इसे नेपाल की घरेलू राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल, नेपाल में हिंदू राज्‍य बनाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है और नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने कई बार भारत का दौरा करके उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्‍वर योगी आदित्‍यनाथ समेत कई नेताओं से मुलाकात भी की है। यही वजह है कि पशुपतिनाथ मंदिर के देश नेपाल के पीएम प्रचंड अब भारत और शिव के साथ रिश्‍ते को मजबूत करने में जुट गए हैं।

नेपाल के वरिष्‍ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्‍लेषक युबराज घिमरे ने इंडियन एक्‍सप्रेस में लिखे अपने एक लेख में कहा कि नेपाल इन दिनों आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। प्रचंड ने पहले कोशिश की थी कि चीन के साथ रिश्‍ते मजबूत किया जाए लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली। अंतत: उन्‍हें भारत समर्थक नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ा। उन्‍होंने कहा कि अब नेपाल की राजनीति में वाम दलों के एक साथ आने की संभावना कम है। घिमरे कहते हैं कि प्रचंड को पता है कि नेपाल में भारत की अच्‍छी छवि है और सकारात्‍मक भूमिका रही है।

नेपाल के राजा नेताओं की क्षमता पर सवाल उठा रहे
युबराज घिमरे ने कहा कि प्रचंड इस बात से बहुत चिंतित हैं कि देश में शाही परिवार को भारत का साथ मिल सकता है जो नेपाल को फिर से हिंदू देश बनाना चाहता है। नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र शाह लगातार देश में दौरा कर रहे हैं और जनता से राजनेताओं की क्षमता को लेकर सवाल कर रहे हैं। प्रचंड ने खुद माना है कि देश में वर्तमान शासन के खिलाफ गुस्‍सा लगातार बढ़ रहा है। नेपाल में हाल ही में चुनाव में एक राजनीतिक दल ने तो खुलकर राजशाही का समर्थन कर दिया था। यही वजह है कि प्रचंड अब भारत से न केवल दोस्‍ती बढ़ा रहे हैं, बल्कि मंदिर भी जा रहे हैं।

बुरी तरह फंसे प्रचंड, अब क्या होगी नेपाल की विदेश नीति
नेपाली मामलों के विशेषज्ञ गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के असिस्‍टेंट प्रफेसर डॉक्‍टर महेंद्र सिंह कहते हैं कि गोरक्ष पीठ और नेपाल की राजशाही में बहुत पुराने संबंध रहे हैं। गोरखनाथ मंदिर में नेपाल के राजा की ही पहली खिचड़ी चढ़ती है। नेपाल का शाही परिवार बाबा गोरखनाथ के भक्‍त रहे हैं। नेपाल में बहुत बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जो नाथ संप्रदाय को मानने वाले हैं। ऐसे में निश्चित रूप से योगी आदित्‍यनाथ जो भारतीय राजनीति में उभरता हुआ व्‍यक्तित्‍व हैं और नेपाल में भारत के समर्थन का डर लाजमी हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि नेपाल में केपी ओली समेत वामपंथी धड़ा तो चीन के समर्थन में चला गया लेकिन वहां की आम जनता अभी भी भारत को पसंद करती है।

नेपाल में लोकतांत्रिक राजशाही का समर्थन करते हैं योगी
महेंद्र सिंह ने कहा कि नेपाली की वामपंथी पार्टियों में यह डर हो सकता है कि देश की जनता में उनकी जमीन खिसक सकती है। नेपाल में लंबे समय से मांग उठती रही है कि राजशाही को ब्रिटेन की तरह से बनाया जाए जहां सरकार लोकतांत्रिक हो और राजा देश की सरकार का प्रमुख हो। इसके विपरीत वामपंथियों ने राजा की भूमिका को खत्‍म कर दिया। उन्‍होंने बताया कि गोरखनाथ पीठ के महंत योगी आदित्‍यनाथ और उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ दोनों ही नेपाल में ब्रिटेन की तरह से राजशाही वाले लोकतंत्र का समर्थन करते हैं।

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