कुरुक्षेत्र,
बीते कुछ दिनों से किसानों और हरियाणा सरकार के बीच MSP को लेकर विवाद चल रहा है. कुछ ही दिनों पहले झड़प और हाइवे ब्लॉक की तस्वीरें सामने आई थीं. ऐसे में किसान यूनियन नेताओं और कुरुक्षेत्र प्रशासन के बीच मंगलवार को एक अहम बैठक हुई. किसानों के मुताबिक यह बैठक बेनतीजा रही.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बैठक किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रही. एमएसपी की घोषणा होने तक हमारा विरोध जारी रहेगा. इसके अलावा राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि प्रशासन एसकेएम कमेटी से बात कर सकता है. हम हर बातचीत के लिए तैयार हैं. राकेश टिकैत ने साफ किया कि टोल प्लाजा को बंद करने की कोई योजना नहीं है.
‘किसान संगठनों को बदनाम कर रही सरकार’
किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कर दिया है कि सूरजमुखी के बीज की फसल के लिए सरकार द्वारा एमएसपी की घोषणा किए जाने तक कुरुक्षेत्र में विरोध जारी रहेगा. उनका कहना है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार किसान यूनियनों को बदनाम कर रही है. हम सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी (6400 रुपये पीक्यू) की मांग कर रहे हैं. हरियाणा में इससे इनकार क्यों किया जा रहा है?
सड़कों पर क्यों बैठे हैं किसान?
आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों से हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसान सड़कों पर हैं. सोमवार को किसान संगठनों ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे भी ब्लॉक कर दिया था. हरियाणा के किसान लंबे समय से सूरजमुखी के बीज की एमएसपी पर खरीद की मांग पर अड़े हैं. सोमवार को ही इस मांग को लेकर किसानों ने कुरुक्षेत्र में महापंचायत भी की थी. ये महापंचायत भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने NH-44 के पास आयोजित की थी. इस महापंचायत के बाद किसानों ने हाइवे पर ट्रैक्टर खड़े कर दिए और उसे ब्लॉक कर दिया. पुलिस और प्रशासन देर रात प्रदर्शनकारियों को मनाने में लगे रहे, लेकिन बात नहीं बनी. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक जाम जारी रहेगा.
किसानों की मांगें क्या हैं?
कुरुक्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे किसानों की दो मांगें हैं. पहली मांग ये कि सूरजमुखी के बीज की एमएसपी पर खरीद हो. दूसरी कि गिरफ्तार किए किसान नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए. किसानों का दावा है कि सरकार सूरजमुखी के बीज को एमएसपी पर नहीं खरीद रही है. उनका कहना है कि वो अपनी फसल चार हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से निजी खरीदारों को बेचने पर मजबूर हैं, जबकि सूरजमुखी के बीज पर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी तय है.
प्रदर्शनकारी किसान सूरजमुखी के बीज को भावांतर योजना में शामिल करने का भी विरोध कर रहे हैं. इस योजना के तहत, अगर फसल एमएसपी पर नहीं बिकती है तो सरकार हर एक क्विंटल पर एक हजार रुपये का मुआवजा देगी.
क्या है किसानों की रिहाई की मांग?
गौरतलब है कि 6 जून को भी बीकेयू (चढ़ूनी) की अगुआई में कुरुक्षेत्र में किसानों ने प्रदर्शन किया था. उस समय भी किसानों ने कई घंटों के लिए NH-44 को ब्लॉक कर दिया था. किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. इसके साथ बीकेयू (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 9 किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था. सोमवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने इन सभी नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग भी की है.
महापंचायत में क्या हुआ?
महापंचायत में शामिल हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को सूरजमुखी के बीज को एमएसपी पर खरीदना चाहिए. साथ ही गिरफ्तार किए नेताओं को भी रिहा करना चाहिए. टिकैत ने महापंचायत से ऐलान किया था कि सरकार ने एमएसपी पर कानून का वादा किया था, अगर वो पूरा नहीं होता है तो देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा. अम्बाला से आए किसान भूपिंदर सिंह ने न्यूज एजेंसी से कहा कि सरकार ने किसानों की ताकत को कम आंका है, लेकिन वो गलत हैं और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक हाइवे से धरना खत्म नहीं होगा.