13 से घटकर 1 पर पहुंची MNS, राज ठाकरे ने फिर प्रवासियों पर किया प्रहार, इसबार 1 तीर से 2 निशाने साधना है लक्ष्य

मुंबई

पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र की सियासत ने बड़े बदलाव देखे हैं। अब MNS चीफ राज ठाकरे एकबार फिर से एंटी प्रवासी राग अलापते दिखाई दे रहे हैं। मुंबई में इस साल नगर निगम का चुनाव होने है, ऐसे में विशेष तौर पर उनके हालिया बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बीते रविवार को एक कार्यक्रम में राज ठाकरे ने मुंबई में “अवैध कॉलोनियों” और जल निकासी की खराब व्यवस्था के लिए प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा कि एक शहर में कितने प्रवासियों को आना चाहिए, इसकी एक सीमा होनी चाहिए। किसी शहर में प्रवासियों के लगातार आने से बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ पड़ता है। ये प्रवासी नदियों और नालों के किनारे पर अवैध कॉलोनियां बसा लेते हैं। इस वजह से नालों और नदियों के मैनेजमेंट का सिस्टम खराब हो जाता है और नाले ओवर फ्लो होने लगते हैं व गटर जाम हो जाते हैं।

नाम न छापने की शर्त पर MNS के एक जनरल सेक्रेटरी ने इंडियन एक्सप्रेस को कहा कि राज ठाकरे के बयान “MNS की नीतियों और राजनीति के अनुरूप है”। उन्होंने कहा, “जो भी राज ठाकरे ने कहा वो फैक्ट है। उन्होंने कहा कि मुंबई के बुनियादी ढांचे पर दबाव के चलते जल निकासी व्यवस्था की व्यवस्था खराब हो रही है और नदियां प्रदूषित हो रही हैं। मुंबई और आसपास के इलाकों में नालों और नदियों के आसपास अतिक्रमण हुआ है, इस फैक्ट से भी इनकार नहीं किया जा सकता, यह सच्चाई है। जो अतिक्रमण कर रहे हैं, वो माइग्रेंट हैं, वो लोकल नहीं हैं।

चुनाव में कैसा रहा है MNS का प्रदर्शन?
मनसे के गठन के तीन साल बाद साल 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 13 सीटें पर जीत दर्ज की। इसे राज्य में एक बड़ी ताकत भी माना गया लेकिन आने वाले चुनावों में इसका ग्राफ गिरता गया। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में MNS सिर्फ 1 सीट पर जीत दर्ज कर पाई। अपने मजबूत कैडर की वजह से लोकल लेवल पर MNS का प्रभाव देखा गया है। 2017 में हुए बीएमसी चुनाव में MNS के 6 पार्षद उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहे। हालांकि एक को छोड़कर सभी तब उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए।

MNS नासिक और पुणे में भी मजबूत ताकत बनकर उभरी लेकिन इसके लोकल नेता अन्य पार्टियों में शामिल हो गए। अब जब BMC चुनाव आने वाले हैं और फिर लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होना है, ऐसे में MNS एकबार फिर से खुद को इसके लिए मजबूत करती दिखाई दे रही है।

क्या है राज ठाकरे की रणनीति?
उद्धव गुट, कांग्रेस और एनसीपी पहले ही MVA के बैनर तले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस गठबंधन से लड़ने और उद्धव ठाकरे को कमजोर करने के लिए बीजेपी और शिंदे गुट राज ठाकरे के साथ गठबंधन कर सकते हैं। आधिकारिक रूप से भले ही बीजेपी और MNS के बीच हुई बातचीत पर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। दोनों ही दल अपना पैक्ट फाइनल न होने तक कुछ भी पब्लिक न होने देने पर खास सतर्कता बरत रहे हैं।

ऐसे में प्रवासियों को लेकर राज ठाकरे की टिप्पणी 25 साल से बीएमसी पर राज कर रही शिवसेना को नुकसान पहुंचाने की रणनीति के तौर पर देखी जा रही है। इतना ही नहीं, इन टिप्पणियों को कांग्रेस के भीतर उत्तर भारतीय नेताओं पर निशाना साधने के लिए MNS की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। साल 2005 में MNS के गठन के बाद राज ठाकरे ने मराठी मानुष और मराठी अस्मिता से जुड़े कथित मुद्दों को उठाया था। प्रवासियों पर कई बार हमलों के बाद राज ठाकरे सवालों के घेरे में आ गए थे। हालांकि बीते एक दशक में ऐसे मामले रुक गए लेकिन राज ठाकरे प्रवासियों के खिलाफ बोलते रहे। कोरोना महामारी के दौरान राज ठाकरे ने संक्रमण फैलने की वजह प्रवासी मजदूरों को बताया था।

About bheldn

Check Also

मुसलमानों के लिए हिंदुओं ने लड़ा युद्ध, जान देकर बनवाई मस्जिद, जानें केरल की 500 साल से जारी ‘शुक्रिया’ परंपरा

तिरुवनंतपुरम जब देश में पुराने मुस्लिम शासकों से जुड़ी जगहों को लेकर विवाद हो रहे …