पुतिन ने की भारत की तारीफ, कहा- दुनिया ने छेड़ा हमारे खिलाफ हाइब्रिड वॉर

मॉस्‍को

रूस के राष्‍ट्रपति व्‍ल‍ादिमीर पुतिन ने मंगलवार को शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) शिखर सम्‍मेलन को संबोधित किया। पिछले दिनों हुए वैगनर विद्रोह के बाद पुतिन पहली बार दुनिया के सामने आए। इस दौरान उन्‍होंने यूक्रेन जंग का जिक्र किया तो दोस्‍त भारत की जमकर तारीफ की। पुतिन ने इस सम्‍मेलन में पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों का सामना करने और उसे भड़काने के लिए उठाए गए हर कदम का जवाब देने की कसम खाई है। इस साल भारत सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता कर रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली राजकीय यात्रा को पूरा करके अमेरिका से लौटे हैं। उनकी इस यात्रा के बाद यह पहला बड़ा सम्‍मेलन है।

यूक्रेन हथियारों से पटा
एससीओ में रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय सुरक्षा प्रणाली कई समस्याओं की वजह से बिगड़ गई है। उनका कहना था कि यूक्रेन को हथियारों से भर दिया गया है। बाहरी ताकतों की वजह से रूस के पड़ोसी को उसका दुश्मन बना दिया गया है। पुतिन ने कहा रूस ने प्रतिबंधों का मुकाबला किया और विकास जारी रखा है। पुतिन के शब्‍दों में, ‘मैं समर्थन के लिए एससीओ सदस्यों को धन्यवाद देता हूं। राष्‍ट्रीय मुद्रा का उपयोग करके रूस-एससीओ व्यापार रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गया है। रूस-चीन का व्‍यापार अब 80 फीसदी तक हो गया है। यह व्‍यापार अब रूबल और युआन में साथ ही बाकी एससीओ भागीदारों के साथ बढ़ेगा।’

भारत की सराहना
पुतिन का कहना था कि रूस के खिलाफ एक हाइब्रिड युद्ध जारी है। उनका कहना था कि रूस इस तरह की हर रणनीति का मुकाबला कर सकता है। एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन ने समूह की अध्यक्षता में भारत की सराहना की। रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों पर एससीओ के सदस्य देश जैसे कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान बंटे हुए हैं। कुछ देशों ने रूस के पक्ष में मतदान किया तो कुछ ने मतदान से दूरी बनाई। माना जा रहा था कि पुतिन इस मंच से दुनिया को यह संकेत दे सकते हैं कि वह अभी भी महत्वपूर्ण हैं और बहुत हद तक कमान संभाले हुए हैं।

ईरान का स्‍वागत
पुतिन ने ईरान की पूर्ण सदस्‍यता का स्‍वागत किया है। यह भारत के लिए एक बड़ा राजनयिक वर्ष है। एससीओ के अलावा इसी साल सितंबर में वह जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी करने वाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों मंचों की अलग-अलग प्राथमिकताएं हैं। ऐसे में यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती होगा।

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