नई दिल्ली,
करगिल विजय दिवस के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख के द्रास में नियंत्रण रेखा पार करने को लेकर बुधवार को एक बयान दिया था, जिस पर पाकिस्तान भड़क गया है. पाकिस्तान ने रक्षा मंत्री की टिप्पणियों को भड़काऊ करार देते हुए कहा है कि भारत को ‘अत्यधिक सावधानी’ बरतने की जरूरत है.
उनकी इस टिप्पणी को लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है, जिसमें मंत्रालय की प्रवक्ता प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, ‘भारत की आक्रामक बयानबाजी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है. यह दक्षिण एशिया में रणनीतिक माहौल को अस्थिर करने का काम करती है.’
पाकिस्तानी मंत्रालय की तरफ से आगे कहा गया, ‘यह पहली बार नहीं है कि भारत के नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान के बारे में इस तरह का बेहद गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की हो. इस तरह के अंधराष्ट्रवादी बयानबाजी बंद होनी चाहिए. हम भारत के नेतृत्व को याद दिलाना चाहते हैं कि पाकिस्तान किसी भी आक्रमण के खिलाफ अपनी रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है.’
बयान में कहा गया कि अति-राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और चुनावी लाभ हासिल करने के उद्देश्य से भारत के नेता पाकिस्तान को अपने लोकलुभावन बयानों में घसीटते हैं, जिसे खत्म करने की जरूरत है.साथ ही पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत को सलाह दी कि वो विवादित क्षेत्र पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को ईमानदारी से लागू करे.
क्या कहा था राजनाथ सिंह ने?
द्रास में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा था कि 26 जुलाई 1999 को करगिल का युद्ध जीतने के बाद भी भारत की सेना ने अगर एलओसी पार नहीं किया तो वो इसलिए क्योंकि भारत शांतिप्रिय देश है.उन्होंने कहा, ‘भारत एक शांतिप्रिय देश है जो अपने सदियों पुराने मूल्यों में विश्वास करता है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लेकर प्रतिबद्ध है. लेकिन हमारे हितों की रक्षा के लिए, हम एलओसी पार करने से नहीं हिचकिचाएंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘भारत अपने सम्मान और गरिमा को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. अगर इसमें एलओसी पार करना भी शामिल है, तो हम ऐसा करने के लिए भी तैयार हैं. अगर हमें उकसाया गया और जरूरत पड़ी तो हम एलओसी पार कर जाएंगे.’
क्या हुआ था करगिल में?
मई 1999 में लद्दाख के करगिल जिले में पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की थी. पाकिस्तान के सैनिकों ने यहां घुसपैठ कर लिया था और कई चौकियां बना ली थी. भारतीय सैनिकों को जैसे ही इस घुसपैठ की सूचना मिली उन्होंने 8 मई 1999 को पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के उद्देश्य से ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया.
भारत की वायु सेना ने भी इस ऑपरेशन में साथ दिया और 26 मई को भारतीय क्षेत्र में घुस आए पाकिस्तानी सैनिकों की चौकियों पर भयंकर हवाई हमला किया. एक महीने चले इस युद्ध का अंत 26 जुलाई 1999 को हुआ जब भारत की सेना ने पाकिस्तानी सेना द्वारा कब्जा की गई सभी चौकियों को अपने कब्जे में ले लिया. इस युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हुए और 700 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे गए.