‘शिव शक्ति’ और ‘तिरंगा’ से पहले चांद पर मौजूद है ‘जवाहर पॉइंट’, जानिए पूरी कहानी

नई दिल्ली,

चंद्रयान-3 के ‘विक्रम लैंडर’ ने चांद पर जिस जगह कदम रखा है उस पॉइंट को ‘शिव शक्ति’ नाम दिया गया है. इसके अलावा पीएम मोदी ने उस पॉइंट को ‘तिरंगा’ नाम दिया है जहां चंद्रयान-2 लैंडर क्रैश हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए चांद पर दोनों पॉइंट के नाम की घोषणा की.

यह एक वैज्ञानिक परंपरा है कि जिस जगह लैंडर उतरता है उसका नामकरण किया जाता है. लेकिन चांद पर शिव शक्ति पॉइंट और तिरंगा पॉइंट से पहले एक और पॉइंट है जिसका नाम ‘जवाहर पॉइंट’ है. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद से ‘जवाहर पॉइंट’ सोशल मीडिया पर ट्रैंड कर रहा है. बीजेपी के कई नेताओं और ‘X’ (पहले ट्विटर) यूजर्स चंद्रयान-1 मिशन की लैंडिंग साइट के नाम पर आपत्ति जता रहे हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी.

दरअसल, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी. 15 अगस्त 2003, यही वह तारीख है जब भारत ने चंद्रयान कार्यक्रम शुरुआत की थी. नवंबर 2003 को भारत सरकार ने पहली बार भारतीय मून मिशन के लिए इसरो के चंद्रयान-1 को मंजूरी दी थी. इसके करीब 5 साल बाद, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के कार्यकाल में भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया गया. चांद पर कहां है जवाहर पॉइंट वीडियो में देखिए.

चंद्रयान-1 का उद्देश्य क्या था?
चंद्रयान-1 को PSLV-C11 से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-1 मिशन में एक ऑर्बिटर और मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) शामिल थे. इस मिशन पर लगभग 386 करोड़ (88.73 मिलियन डॉलर) का खर्च आया था. इस मिशन में चांद की सतह का दो साल तक सर्वे करना था और वहां मौजूद केमिकल कम्पोजीशन का मैप बनाना था.

चांद पर ‘जवाहर पॉइंट’ के बारे में
चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था. यह 8 नवंबर को चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया. फिर स्टेप वाइज 12 नवंबर को चांद से करीब 100 किलोमीटर दूर पहुंच गया लेकिन 14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास क्रैश लैंडिंग किया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया. चंद्रयान-1 की क्रैश लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव में मौजूद Shackleton क्रेटर के पास रही. क्योंकि उस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती थी, इसलिए उस इम्पैक्टर साइट का नाम ‘जवाहर पॉइंट’ रख दिया.

चंद्रयान-1 से क्या हासिल हुआ?
28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति कर दी थी, लेकिन चंद्रयान-1 लैंडर क्रैश होने से पहले चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर ली गई थी. चंद्रयान-1 का डेटा इस्तेमाल करके चांद पर बर्फ, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एल्युमिनियम और लोहे की मौजदूगी का पता लगा लिया था.

चंद्रयान-2
22 जुलाई, 2019 को 14:43 बजे भारत ने चांद की ओर अपना दूसरा कदम बढ़ाया था. सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र (एस डी एस सी), श्रीहरिकोटा से जी एस एल वी- मार्क-III एम1 द्वारा चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था. 20 अगस्त को चंद्रयान-2 अतंरिक्ष यान चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया और 02 सितंबर को चांद की ध्रूवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाने समय लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया.

इस मिशन का पहला मकसद चांद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर से चांद की सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना था, लेकिन सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था. हालांकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर इसके बाद भी चंद्रमा की कक्षा में घूमता रहा. उसका फायदा चंद्रयान-3 मिशन में हुआ. उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी. मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है. यह ऑर्बिटर अब चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है.

चंद्रयान-3
भारत के तीसरे मून मिशन यानी चंद्रयान-3 ने स्पेस साइंस में इतिहास रच दिया है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथी महानशक्ति बन गया है. चंद्रयान-3 ‘विक्रम’ लैंडर द्वारा भेजी जा रही तस्वीरों में दुनिया चांद के उस हिस्से को देख पा रही है जहां अब तक कोई नहीं पहुंच पाया था.

चंद्रयान-3, 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. इसे भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया. चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास लैंड किया, जो 14 दिनों तक चांद की सतह पर रिसर्च करेगा, जिसके लिए ‘विक्रम’ लैंडर में चार पेलोड्स लगे हैं. चंद्रयान-3 के मिशन का वित्तीय बजट  615 करोड़ रुपये यानी करीब 75 मिलियन डॉलर है.

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