नई दिल्ली,
भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरकर इतिहास रच दिया है. इसके साथ ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. चांद पर लैंडिंग के दो घंटे और 26 मिनट बाद लैंडर से बाहर आए रोवर ‘प्रज्ञान’ ने अपना काम करना शुरू कर दिया है.
यह रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद के गर्भ में छिपे रहस्यों को दुनिया के सामने लाने में जुट गया है. इसके लिए वह चांद पर लगातार चहलकदमी कर रहा है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें रोवर ‘प्रज्ञान’ को चांद पर पर चलते देखा जा सकता है. वह चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर से ज्यादा चल चुका है. रोवर में लगे उपकरण ऑन कर दिए गए हैं और अब रोवर ने काम शुरू कर दिया है.
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बता दें कि चंद्रयान-3 का लैंडर बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर उतरा था. इसके दो घंटे और 26 मिनट बाद रोवर भी इससे बाहर आ गया. रोवर छह पहियों वाला रोबोट है. ये चांद की सतह पर चलेगा. इसके पहियों में अशोक स्तंभ की छाप है. जैसे-जैसे रोवर चांद की सतह पर चलेगा, वैसे-वैसे अशोक स्तंभ की छाप छपती चली जाएगी. रोवर की मिशन लाइफ 1 लूनर डे है. चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है.
दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा लैंडर
चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडर उतारने वाला भारत, दुनिया का पहला देश बन गया है. वहीं, चांद की सतह पर लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले सितंबर 2019 में भी इसरो ने चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारने की कोशिश की थी. लेकिन तब हार्ड लैंडिंग हो गई थी.
प्रज्ञान रोवर क्या काम कर रहा है
प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स लगें हैं. पहला है लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप . यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. इसके अलावा प्रज्ञान पर दूसरा पेलोड है अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.
क्या है रोवर का आकार?
Chandrayaan-3 का रोवर का कुल वजन 26 किलोग्राम है. यह तीन फीट लंबा, 2.5 फीट चौड़ा और 2.8 फीट ऊंचा है. यह छह पहियों पर चलता है. कम से कम 500 मीटर यानी 1600 फीट तक चांद की सतह पर जा सकता है. इसकी स्पीड 1 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड हैं. यह अगले 13 दिनों तक चांद की सतह पर तब तक काम करता रहेगा, जब तक इसे सूरज की रोशनी से ऊर्जा मिलती रहेगी.
लैंडर के चार में से तीन पेलोड्स किए गए ऑन
आपको बता दें कि इससे पहले इसरो ने ट्वीट करके बताया था कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर से संबंधित सभी काम सही से चल रहे हैं. दोनों की सेहत भी ठीक है. लैंडर मॉड्यूल के पेलोड्स इल्सा (ILSA), रंभा (RAMBHA) और चास्टे (ChaSTE) को ऑन कर दिया गया है. रोवर की मोबिलिटी ऑपरेशन शुरु हो चुकी है. इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा पेलोड SHAPE की ऑन किया जा चुका है.