नई दिल्ली
मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष का राजनीतिक समाधान खोजने की दिशा में राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव दिया है। जिसके मुताबिक, वह राज्य में मौजूदा हिल काउंसिल को अधिक स्वायत्तता (Autonomy) देने के लिए तैयार है, लेकिन क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।
संघर्ष की शुरुआत के बाद से, कुकी समुदाय समुदाय के उनकी तबाही में राज्य सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए अलग प्रशासन की मांग कर रहा है। मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह के करीबी एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अलग प्रशासन, चाहे कुकी किसी भी रूप में मांग कर रहे हों, सरकार या राज्य की बाकी आबादी को स्वीकार नहीं है। हालांकि, हम पहाड़ी जनजातियों की चिंताओं का समाधान करने के लिए तैयार हैं। हमने प्रस्ताव दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन में उन्हें अधिक स्वतंत्रता और नियंत्रण देकर हिल काउंसिल्स की स्वायत्तता बढ़ाई जा सकती है। हमें उम्मीद है कि कुकी प्रस्ताव स्वीकार कर लेंगे और संघर्ष समाप्त कर देंगे।”
गृह मंत्रालय (MHA) मौजूदा संघर्ष का समाधान खोजने के लिए मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के प्रतिनिधि समूहों के साथ बातचीत कर रहा है। संघर्ष शुरू होने के बाद से ऐसे एक दर्जन से अधिक सत्र आयोजित किए जा चुके हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इनमें से कुछ में शामिल हुए हैं।
पूर्वोत्तर के लिए केंद्र के प्रभारी एके मिश्रा, सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते के तहत कुकी उग्रवादी समूहों के साथ अलग से बातचीत कर रहे हैं। गुरुवार को बीरेन सिंह ने भी मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की, जहां 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद से 160 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।
हालांकि, केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि राज्य की स्थिति को देखते हुए इसकी संभावना नहीं है कि कुकी इस प्रस्ताव को आसानी से स्वीकार कर लेंगे। उन्होंने कहा, ”फिलहाल उन्होंने अलग प्रशासन पर अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। लंबे समय तक शांति स्थापित होने के बाद ही शायद, यह उनके विचार में आएगा। लेकिन पहाड़ी-घाटी विभाजन को हल करने के लिए अन्य तरीके भी हैं जिन पर सालों से चर्चा चल रही है।”
इस बीच, राज्य सरकार ने राज्य में मैतेई और कुकी दोनों से बात करने के लिए भाजपा विधायक और हिल एरिया कमेटी (HAC) के अध्यक्ष दिंगंगलुन गंगनेई की अध्यक्षता में पांच सदस्यों- तीन नगा और दो पंगल (मैतेई मुस्लिम) की एक समिति गठित की है, ताकि इस समस्या का समाधान खोजा जा सके।