मॉस्को
भारत में अगले महीने जी20 शिखर सम्मेलन होने वाला है। उससे पहले गुजरात के गांधीनगर में सोमवार को जी20 मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन हुआ। इसके आउटकम डॉक्यूमेंट यानी परिणाम दस्तावेज पर रूस ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। यूक्रेन युद्ध के संदर्भ को शामिल करने को रूस ने खारिज कर दिया। रूस ने कहा कि जियोपॉलिटिकल पैरा-13 को शामिल करना जी-20 जनादेश के अनुरूप नहीं है। इसके साथ ही चीन ने भी इस पर हस्ताक्षर नहीं किया।
दस्तावेज में कहा गया है कि जी20-CSAR यूक्रेन के खिलाफ रूसी संघ की आक्रामकता की कड़े शब्दों में आलोचना करता है और यूक्रेन के क्षेत्र से उसकी बिना शर्त वापसी की मांग करता है। ज्यादातर सदस्यों ने यूक्रेन युद्ध की कड़ी निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि इससे भारी मानवीय पीड़ा हो रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियां बढ़ रही हैं। विकास बाधित हो रहा है और दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है। सप्लाई चेन भी बाधित हुई है।
पहले भी जता चुके हैं आपत्ति
दस्तावेज में कहा गया, ‘स्थिति और प्रतिबंधों के बारे में अन्य विचार और अलग-अलग आकलन थे। यह मानते हुए कि जी-20 सुरक्षा मुद्दों को हल करने वाला मंच नहीं है, हम यह स्वीकार करते हैं कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण परिणाम हो सकता है।’ चीन और रूस पहले भी यूक्रेन युद्ध की आलोचना वाला पैराग्राफ शामिल करने पर आपत्ति जता चुके हैं। भारत में 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में जी-20 का शिखर सम्मेलन होगा, जिसकी अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
नहीं बन पा रही सहमति
शिखर सम्मेलन से पहले सिर्फ तीन और बैठकें आयोजित होनी हैं। जी20 शेरपाओं की 3-6 सितंबर तक नई दिल्ली में बैठक होगी। यहां वह एक साथ मिल कर सदस्य देशों के नेताओं की ओर से अपनाए जाने वाले प्रस्तावित परिणाम दस्तावेज पर मतभेदों को दूर करने का आखिरी प्रयास करेंगे। पश्चिमी देशों की ओर से जोर देकर कहा गया है कि दस्तावेज में यूक्रेन युद्ध से जुड़ा एक पैराग्राफ होना चाहिए। पश्चिमी देश यह भी चाहते थे कि इसमें यूक्रेन शामिल हो, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।