चंद्रयान-3 की सफलता देख ISRO का मुरीद हुआ रूस, चीन का दामन छोड़ थामेगा भारत का हाथ!

मॉस्को

चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफल लैंडिंग के बाद रूस, भारत का मुरीद हो गया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस भारत के इसरो के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और ज्यादा बढ़ाने को तैयार है। इस बात की पुष्टि सोमवार को हुई जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग पर दोबारा बधाई दी। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमति बनी। रूस वर्तमान में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चीन पर काफी हद तक निर्भर है। लेकिन, लूना-25 की असफलता के बाद चीन की रवैये को देखकर रूस ने भारत के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है।

पुतिन ने पीएम मोदी को दो-दो बार दी बधाई
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने अपने बयान में कहा कि व्लादिमीर पुतिन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के लिए एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई दी। इस दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और विकसित करने की तत्परता की पुष्टि की गई। तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के माध्यम से नागरिक परमाणु सहयोग और गगनयान कार्यक्रम के माध्यम से अंतरिक्ष अन्वेषण भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के महत्वपूर्ण घटक बने हुए हैं।

गगनयान मिशन में भारत को सहयोग दे रहा रूस
रूस अंतरिक्ष में भारत के पहले मानव मिशन गगनयान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसे 2024 के चौथी तिमाही में लॉन्च करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में पिछले कुछ वर्षों में रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच सहयोग में भारी वृ्द्धि देखी गई है। इसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और उपग्रह नेविगेशन भी शामिल हैं।

इसरो और सोस्कोस्मोस ने की है डील
इसरो और रोस्कोस्मोस ने अंतरिक्ष में सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका लक्ष्य लॉन्च व्हीकल्स के विकास, विभिन्न कार्यों के लिए अंतरिक्ष यान का निर्माण और उपयोग, जमीन आधारित अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे के साथ-साथ ग्रहों की खोज सहित शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए भारत और रूस की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए एक साझेदारी को विकसित करना है।

भारत को अंतरिक्ष में शुरू से ही मदद कर रहा रूस
रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) ने 1962 में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) स्थापित करने में भारत की मदद की थी। रूस उन तीन देशों में से एक था, जिसने भारत को अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उदय में बड़े पैमाने पर योगदान दिया। 1975 में पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट का प्रक्षेपण और 1984 में संयुक्त सोवियत-भारतीय सोयुज-टी11 अंतरिक्ष यान चालक दल के सदस्य के रूप में पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की आठ दिवसीय उड़ान ने साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इसके अलावा फरवरी 2020 में रूस ने भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन गगनयान के लिए पायलटों की ट्रेनिंग पर भी हामी भरी थी।

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