नूंह, हरियाणा
‘शाम के 4 बजे थे। मेरे किराएदार जुबेर का कॉल आया। वो बोला कि हमारी दुकानों के सामने पुलिस फोर्स लगी है, बुलडोजर खड़े हैं। शायद अधिकारी दुकानें तोड़ने आ रहे हैं। मैंने जमीन के कागज लिए और भाई के साथ भागता हुआ पहुंचा। बुलडोजर के सामने खड़ा हो गया। मैंने कहा- मैं इन दुकानों का मालिक हूं। बिना SDM या डिप्टी कलेक्टर से मिले, दुकानें नहीं तोड़ने दूंगा। मैं चिल्लाता रहा। पुलिसवालों ने मुझे पकड़ा और अपनी बस में बिठा दिया।’
31 जुलाई, 2023 को विश्व हिंदू परिषद की ब्रजमंडल यात्रा के दौरान नूंह में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने कुल 1208 घरों, पक्की और कच्ची दुकानों पर बुलडोजर चला दिया। कहा गया कि ये कार्रवाई दंगों में शामिल होने की वजह से की गई है। 4 अगस्त से 7 अगस्त तक बुलडोजर चलता रहा।
पहले दिन जिनकी दुकानें टूटीं, उनमें अब्दुल रसीद उर्फ नवाब भी हैं। नूंह मेडिकल कॉलेज के सामने उनकी जमीन पर 20 दुकानें बनी थीं। नवाब कहते हैं, ‘दुकानें टूटने से मुझे एक करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।’
7 अगस्त को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई पर रोक लगा दी। तब तक 354 लोगों के पक्के घर या दुकानें टूट चुकी थीं। इनमें 283 मुस्लिम और 71 हिंदू हैं। हिंसा के ठीक एक महीने बाद दैनिक भास्कर फिर नूंह पहुंचा। छानबीन में हमें 5 बातें पता चलीं…
- नूंह हिंसा के बाद प्रशासन ने 1208 घर और दुकानें तोड़ी हैं, कई जगह नोटिस भी नहीं दिए गए।
- 443 मकान ढहाए गए, इनमें 283 मुस्लिम और 71 हिंदुओं के हैं। ये कार्रवाई कब्जे के आरोप में की गई।
- तोड़े गए दो घर प्रियदर्शिनी योजना में मिले थे, कुछ घर कोर्ट के स्टे के बावजूद तोड़े गए।
- लोगों का कहना है कि घर तोड़ने से पहले उन्हें सामान निकालने का भी वक्त नहीं दिया गया।
- हिंसा के मामलों में 61 FIR दर्ज हैं, 300 लोग गिरफ्तार किए गए, इनमें 294 मुस्लिम और सिर्फ 6 हिंदू हैं। हिंदुओं में सभी 6 आरोपियों की जमानत हो चुकी है।
प्रशासन का बुलडोजर सबसे ज्यादा फिरोजपुर झिरका और नगीना में चला। हमने छानबीन की शुरुआत यहीं से की। हम नल्हड़ भी गए, जहां से हिंसा शुरू हुई थी। इन्हीं तीन इलाकों से सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां भी हुई हैं।