G20 में न बुलाने पर यूक्रेनी अखबार में भारत को लेकर क्या छपा?

नई दिल्ली,

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बदले वैश्विक हालात में भारत जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इस बैठक में जी-20 के सदस्य देशों के अलावा भारत ने 9 अन्य देशों को विशेष निमंत्रण पर भारत बुलाया है जिसमें बांग्लादेश, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, मिस्र, मॉरीशस, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. लेकिन भारत ने यूक्रेन को नहीं बुलाया जिसे लेकर यूक्रेन की मीडिया में भारत पर सवाल उठ रहे हैं. पिछले साल इंडोनेशिया ने अपनी मेजबानी में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को बुलाया था लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया है.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने ही कह दिया था कि शिखर सम्मेलन में यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया है क्योंकि जी20 आर्थिक मुद्दों का मंच है, संघर्ष समाधान का मंच नहीं है, इसके लिए यूएनएससी (United nations Security Council) है. अब जबकि भारत राजधानी दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, यूक्रेन के एक प्रमुख अखबार कीव पोस्ट में छपे एक ऑपिनियन लेख में कहा गया है कि बैठक में यूक्रेन को न बुलाना रूस का तुष्टीकरण है.

‘यह युग युद्ध का युग नहीं है’- यूक्रेनी अखबार ने याद दिलाया पीएम मोदी का नारा
कीव पोस्ट में लिखा है, ‘भारत ने यूक्रेन के लोगों को मानवीय सहायता दी है. वो कहता है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के पालन होना चाहिए, विवादों का राजनयिक समाधान होना चाहिए और इसी के जरिए वो यूक्रेन संकट को मैनेज करता आया है. हर किसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा याद है कि यह युद्ध का युग नहीं है जो उन्होंने 2022 में समरकंद के एससीओ की बैठक में दिया था. लेकिन भारत ने रूस पर प्रतिबंध लगाने में पश्चिम का साथ नहीं दिया है. इसके उलट भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है और उसने सार्वजनिक रूप से कभी रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है.’

अखबार ने लिखा कि संघर्ष का जिक्र करते हुए जारी बयानों में भी भारत ने आलोचना करना तो दूर रूस का नाम तक नहीं लिया है. उल्टा भारत सस्ता रूसी तेल खरीद रहा है, फिर उसे रिफाइन कर पश्चिमी देशों और यहां तक ​​कि यूक्रेन को भी बेच रहा है.

‘अभी सबसे बड़ा मुद्दा यूक्रेन है’
भारत जी20 की बैठकों में यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा से यह कहकर बचने की कोशिश करता रहा है कि जी20 संघर्ष समाधान का मंच नहीं है. इसके जवाब में लिखा गया है कि वैश्विक राजनीति और अर्थशास्त्र को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है. भारत जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है इसलिए उसके ऊपर अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां हैं. और इस वक्त दुनिया के सामने सबसे बड़ा मुद्दा यूक्रेन का मुद्दा है.

यूक्रेन को जी20 में न बुलाए जाने को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर के तर्क, (जिसमें उन्होंने कहा था कि यूक्रेन समस्या के लिए जी20 नहीं बल्कि यूएनएससी में चर्चा होनी चाहिए) पर यूक्रेनी अखबार में सवाल उठाया गया है कि, ‘यूक्रेन को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जितने भी प्रस्ताव पेश हुए हैं, रूस और चीन ने उस पर वीटो कर उसे पास होने से रोक दिया है. ऐसे में यूएनएससी कैसे यूक्रेन की मदद कर सकता है?’

कीव पोस्ट ने लिखा कि युद्ध की शुरुआत के बाद से पीएम मोदी ने कई बार राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है. जी-7 हिरोशिमा शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक के दौरान, मोदी ने जेलेंस्की को आश्वासन दिया कि भारत जितना संभव होगा, यूक्रेन की मदद करेगा. ऐसे में, जी20 शिखर सम्मेलन भारत की असली परीक्षा है कि भारत यूक्रेन की मदद के लिए क्या कर सकता है.

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