मणिपुर में हिंसा कई दिनों से जारी है। हिंसा का मुख्य कारण यहां दो जातियों के बीच विवाद है। ये जातियां हैं मैतेई और कुकी। मणिपुर के हालात यह हैं कि यहां मैतेई और कुकी एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए हैं। दोनों जातियों के कई लोगों की हत्याएं हुई हैं। मैतेई और कुकी के बीच खाई इतनी गहरी हो गई है कि इसे पाटना बहुत मुश्किल हो गया है। दोनों जातियों के लोग एक-दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते हैं। इसी बीच दोनों समुदाय के दो लड़के एक साथ आए तो वे भारत की ताकत बने। ये लड़के हैं भरत लाइरेंजम और लेविस जांगमिनलुन। दोनों ने रविवार को भूटान के थिम्पू में दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (एसएएफएफ) अंडर-16 चैम्पियनशिप में भारत के लिए ट्रॉफी जीती। दोनों ने एक-एक गोल किया और इस जीत के जश्न मनाने के लिए सारी दुश्मनी की दीवार तोड़कर एक-दूसरे के गले मिले। यह गले मिलने का पल खास था क्योंकि भरत एक मैतेई है और लेविस एक कुकी है।
23 में 16 खिलाड़ी मणिपुर के
नीले रंग की वर्दी में एकजुट खड़े भरत और लेविस लोगों के लिए बड़ा संदेश हैं। भारतीय टीम के फुटबॉल कुल 23 खिलाड़ियों में से 16 संघर्षग्रस्त मणिपुर के हैं। इनमें से भी 11 मैतेई हैं और चार कुकी हैं। एक मैतेई पंगल है। युवा फुटबॉलरों ने एक साथ खेला, बातचीत की और खाया और केवल चैंपियनशिप जीतने पर ध्यान केंद्रित किया।
भरत और लेविस ने दिखाया कमाल
टीम अपनी जीत का श्रेय बिष्णुपुर जिले के नंबोल के रहने वाले भरत लैरेंजम को जाता है, जिन्होंने आठ मिनट में पहला गोल किया। संघर्षग्रस्त चूड़ाचंदपुर जिले के निवासी लेविस जांगमिनलुन ने बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल में 74वें मिनट में दूसरा गोल किया।
खेल में जाति की सीमा नहीं
अखिल मणिपुर फुटबॉल संघ (ए. एम. एफ. ए.) के महासचिव लैरिक्येंगबाम ज्योतिर्मय रॉय ने कहा कि खेल में जातीयता की कोई सीमा नहीं है जैसा कि इस भारतीय दल ने दिखाया है। उत्साहित भरत ने कहा कि वह गोल करके बहुत खुश थे क्योंकि यह उनका चैंपियनशिप का लक्ष्य था।
पिछले साल हैदराबाद अकाडमी में पहुंचे लेविस
टीम के साथी लेविस ने स्वीकार किया कि जब वह अंतिम मैच के लिए मैदान पर उतरे तो उन्हें घबराहट महसूस हुई। श्रीनिधि डेक्कन एफसी, हैदराबाद के लिए खेलने वाले लेविस ने कहा, ‘हालांकि, दूसरा और अंतिम महत्वपूर्ण गोल करने के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया।’ लेविस पिछले साल ही हैदराबाद अकादमी में शामिल हुए, एक ऐसा निर्णय जिसने न केवल उन्हें बल्कि अपने गृहनगर, राज्य और देश को भी गौरवान्वित किया।
मणिपुर हिंसा नहीं होने दी हावी
मणिपुर के विभिन्न समुदायों से संबंधित अपने साथियों के बारे में पूछे जाने पर, लेविस ने कहा, ‘फुटबॉल एक सामान्य जुनून के रूप में काम करता है, एकजुट होता है और हमें मतभेदों को दूर करने में मदद करता है। चैंपियनशिप में ‘सबसे मूल्यवान खिलाड़ी’ और ‘शीर्ष स्कोरर’ (तीन गोल के साथ) जीतने वाले मणिपुर के मैतेई पंगल खिलाड़ी अब्बास शिंगजामायुम ने भी इसी भावना को दोहराया। उन्होने कहा, ‘हमने मणिपुर में संघर्ष पर एक शब्द भी नहीं बोला और इसके बजाय फुटबॉल और टीम भावना पर ध्यान केंद्रित किया।’
मणिपुर में शांति चाहते हैं खिलाड़ी
भरत ने कहा कि मेरे साथी मिडफील्डर लेविस ने मैच से पहले मुझसे कहा था कि मुझे मैच जीतने के लिए गोल करना चाहिए और उनका (लेविस) दूसरा गोल भारत के लिए खिताब जीतने के लिए महत्वपूर्ण था। मैं तेजी से उसकी ओर बढ़ा और गोल का जश्न मनाने के लिए उसे गले लगा लिया। मणिपुर के संकट पर भरत ने कहा कि वह राज्य को सामान्य स्थिति में लौटते हुए देखना चाहेंगे।