चीन के बड़े समर्थक, भारत से नफरत करने वाले मोहम्‍मद मुइज बनेंगे मालदीव के अगले राष्‍ट्रपति?

माले

मोहम्‍मद मुइज, जो पिछले दिनों मालदीव में हुए राष्‍ट्रपति चुनावों में आगे चल रहे हैं, अगले कुछ दिनों में देश की कमान संभाल सकते हैं। जानकारों की मानें तो मुइज ने सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ा क्‍योंकि पूर्व राष्‍ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ऐसा नहीं कर सकते थे। देश की सुप्रीम कोर्ट ने यामीन को चुनाव लड़ने से रोक दिया था। सााथ ही पार्टी के सदस्यों ने एक और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्‍टर मोहम्मद वहीद को चुनाव लड़ने से इंकार करने दिया था। इसके बाद स्थानीय मीडिया अक्सर मुइज को पीपुल्स नेशनल कांग्रेस- मालदीव की प्रोग्रेसिव पार्टी गठबंधन का ‘प्लान सी’ करार देती थी।

चीन के लिए साबित होंगे फायदेमंद
मुइज चीन के बड़े समर्थक हैं और ऐसे में उनका राष्‍ट्रपति बनना हर तरह से भारत के दुश्‍मन के लिए फायदेमंद होगा। मालदीव में पर्यवेक्षकों अच्‍छी तरह से जानते थे कि मुइज राष्‍ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के लिए विपक्ष की तरफ से सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकते थे। उन्होंने नौ सितंबर के चुनावों में 46.06 फीसदी वोट्स के साथ मुइज ने विपक्ष के अनुमान को सही साबित कर दिया है। सोलिह को 39.05 फीसदी वोट ही मिले हैं। चूंकि किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 50 फीसदी से ज्‍यादा वोट्स हासिल करने होते हैं। इसलिए दोनों को 30 सितंबर को एक फेसऑफ से गुजरना होगा।

लीड्स यूनिवर्सिटी से पढ़ाई
मुइज ने यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। 45 साल के मुइज ने कई वादे किए हैं जिनमें पुलिस और सेना की सैलरी को दोगुना करने से लेकर उनके किराए के भुगतान को कैंसिल करने जैसा वादा भी शामिल है। अगले दो हफ्तों में देश में राजनीतिक स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाएगी। मुइज के लिए इस बार चुनाव आसान नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने जब से यामीन को बैन किया तब से ही वह अपनी पार्टी को चुनावों का बायकॉट करने के लिए कह रहे थे। यामीन, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में दोषी साबित हुए हैं। लेकिन विपक्ष ने एक ऐसे उम्मीदवार को तेजी से ढूंढा जो मौजूदा के लिए चुनावी प्रतिद्वंद्वी के रूप में अजेय साबित हो।

फ्रेंडशिप ब्रिज की जिम्‍मेदारी संभाली
काफी बहस के बाद मुइज का नाम फाइनल हो सका था। उन्‍होंने 5.2 लाख की आबादी वाले देश के 2.8 लाख वोटर्स को समझाने के लिए एक महीने से भी कम समय में अभियान चलाया था। मालदीव की राजनीति में वह कोई नया चेहरा नहीं हैं। साल 2021 में सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के उम्मीदवार को भारी अंतर से हराकर मुइज राजधानी माले के मेयर बने। इससे पहले, उन्होंने पूर्व राष्‍ट्रपति वहीद और यामीन के मंत्रिमंडल में दो बार हाउसिंग मिनिस्‍टर का जिम्‍मा संभाला था। यामीन की सरकार में उन्‍होंने 200 मिलियन डॉलर के चीन-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज के निर्माण का करीब से देखा था। यह पुल माले को हुलहुमाले द्वीप से जोड़ता है। यहां देश का अहम इंटरनेशनल एयरपेर्ट स्थित है।

जिनपिंग की तारीफ, भारत की आलोचना
पिछले महीने पुल के उद्घाटन की पांचवीं सालगिरह के मौके पर मुइज ने यामीन और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के ‘दूरदर्शी नेतृत्व’ की प्रशंसा की। राष्‍ट्रपति सोलिह पर मुइज ने भारत को देश में अनियंत्रित उपस्थिति की मंजूरी देने का आरोप लगाया है। मुइज ने वादा किया कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीत गए तो वह मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को हटा देंगे। साथ ही देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे। उनका कहना है कि यह स्थिति काफी हद तक भारत के पक्ष में है। मालदीव के राजनेताओं के एक वर्ग को भारत की मौजूदगी खलती है। मुइज उनमें से ही एक है और उन्‍हें भारत पर गहरा संदेह है। मुइज ने पूर्व राष्‍ट्रपति यामीन के ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को एक नई दिशा दी है।

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