राजेश खन्ना के डायलॉग के साथ अधीर रंजन ने नए संसद पर मोदी सरकार को दी ये नसीहत

नई दिल्ली,

संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र का आगाज हो चुका है. सत्र की शुरूआत लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के संबोधन से हुई और इसके बाद पीएम मोदी ने सदन को संबोधित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान तमाम पूर्ववर्ती सरकारों और नेताओं के योगदान को याद किया और सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वो अपनी अपनी मधुर यादों को यहां रखें.

इसके बाद जब नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सदन को संबोधित किया तो उन्होंने सरकार पर भी कई बार तंज कसा. अधीर रंजन चौधरी ने फिल्म ‘आनंद’ में राजेश खन्ना द्वारा बोले गए डॉयलॉग ‘जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं’ के साथ अपना भाषण खत्म किया.

फिल्म आनंद के डायलॉग के साथ खत्म किया भाषण
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘हमारा अधिकार हमें मिलना चाहिए. हम चाहते हैं कि ये सदन की जो गरिमा है, वो बरकरार रहे. आज से स्पेशल सेशन नहीं बल्कि नॉर्मल सेशन है. हमें बाहर से मीडिया वालों के हवालों से पता चला कि ये स्पेशल सेशन है. हम ओल्ड से न्यू की तरफ जा रहे हैं लेकिन ओल्ड को हमें नहीं भूलना चाहिए, ओल्ड हमेशा गोल्ड होता है.कहते हैं ना कि पुराना घोड़ा दौड़ के सर्वाधिक उपयुक्त होता है.’

अपने भाषण को राजेश खन्ना के डॉयलाग के साथ खत्म करते हुए चौधरी ने कहा,’हम नए में जा रहे हैं लेकिन पुराने को याद रखेंगे. हमारे राजेश खन्ना बाबू मोशाय ने कहा था एक फिल्म में कि जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं. हम यहां आज जो कर रहे हैं वो हमारी आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी. तो जिदंगी लंबी होनी चाहिए, लंबी नहीं, ये बात कहते हुए मैं अपनी बात खत्म करना चाहूंगा.’

कांग्रेस सरकारों की गिनाई उपलब्धियां
इससे पहले संसद के इतिहास का जिक्र करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘हमारी इस संसद में क्या क्या हुआ उसका छोटा सा ब्यौरा देना चाहता हूं. 1951 में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट पारित हुआ था जिसने लोगों को वोट देने का अधिकार दिया. अगर विटो देने का अधिकार ना होता तो आज हमें बांकी बात करने की गुंजाइश नहीं मिलती है. इसके बाद कमोडिटी एक्ट आया, हरित क्रांति आई..1974 में जब एटमॉकि विस्फोट हुआ था तो उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी.ये भी आपको याद दिलाते हैं. सूचना और प्रौद्योगिकी क्रांति राजीव गांधी लाए थे. अब तो हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, स्वर्गीय राजीव गांधी ने इसकी शुरूआत की थी. हमें इतिहास को नहीं भूलना चाहिए, हिस्ट्री को हम कैंसल चैक नहीं बता सकते हैं.’कश्मीर का जिक्र करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर हमारे देश का अभिन्न अंग है. वहां सेना के जवान मारे जा रहे हैं और इससे पता चलता है कि कश्मीर की स्थिति को लेकर हमारा संदेह सही है.

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