नई दिल्ली,
पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू करने वाले राज्यों को RBI ने चेतावनी दी है. RBI ने कहा है कि ये एक कदम पीछे खींचने जैसा है, जिससे वित्तीय जोखिमों की आशंका बढ़ सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक ने एक लेख में कहा है कि इसे लागू करने का वित्तीय बोझ मौजूदा पेंशन स्कीम (NPS) के मुकाबले 4.5 गुना ज्यादा है. इससे देश के जिन राज्यों में इसे लागू किया जा रहा है, वहां मीडियम टर्म में वित्तीय स्थिति पर संकट गहरा सकता है.
2040 तक OPS लागू करने पर मिलेगा फायदा!
पुरानी पेंशन स्कीम पर लौटने से राज्यों को 2040 तक फायदा होगा. इसकी वजह है कि तबतक कर्मचारियों के रिटायरमेंट से पहले NPS में उनके योगदान का खर्च घट जाएगा. RBI के लेख में कहा गया है कि इससे राज्य अपनी GDP का सालाना 0.1 फीसदी बचाएंगे. लेकिन उसके बाद उन्हें सालाना जीडीपी के 0.5 परसेंट के बराबर पेंशन पर ज्यादा रकम खर्च करनी होगी. ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पांच राज्यों – राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस पर वापस लौटने का एलान किया है. रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के लिए, ओपीएस के लिए भुगतान नई योजना का 4.2 गुना होगा, जबकि छत्तीसगढ़ के लिए 4.6 गुना, झारखंड और पंजाब के लिए 4.4 गुना और हिमाचल प्रदेश के मामले में ये 4.8 गुना होगा.
क्या है NPS?
केंद्र सरकार ने 2004 में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) की शुरुआत की थी. ये एक तय पेंशन प्लान है, जिसमें अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी योगदान कर्मचारी करता है जबकि 14 फीसदी योगदान सरकार करती है. इस रकम पर निवेश के बाद हासिल हुए रिटर्न से पेंशन की रकम तय होती है. यानी ये एक तयशुदा निवेश कार्यक्रम है. वहीं पुरानी पेंशन स्कीम में किसी कर्मचारी को उनके कामकाजी जीवन के दौरान कुछ भी योगदान करने की जरुरत के बगैर भी उसके आखिरी वेतन के 50 फीसदी रकम के बराबर पेंशन की गारंटी होती है.
NPS से रकम निकालने का क्या है फॉर्मूला?
NPS के तहत किसी व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के समय अपने कामकाजी वर्षों के दौरान योगदान की गई संचित राशि का 60 प्रतिशत निकालने की अनुमति है. इस रकम पर निवेशक को किसी तरह का टैक्स भी नहीं देना होता है. बाकी 40 प्रतिशत को एनुअल प्रॉडक्ट में बदलकर दिया जाता है जो निवेशक को उसकी आखिरी सैलरी के 35 फीसदी के बराबर पेंशन होती है.
6 राज्यों के NPS में 50% निवेशक
देश के 6 बड़े राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में NPS के सभी ग्राहकों का लगभग आधा हिस्सा है. उत्तर प्रदेश और राजस्थान केवल दो राज्य हैं, जिनके पांच लाख से अधिक ग्राहक हैं. ये आंकड़े 30 नंवबर 2022 तक के डेटा के आधार पर बताए गए हैं.