नई दिल्ली,
महिला आरक्षण बिल पर लोक सभा में बहस की शुरुआत कांग्रेस की सबसे सीनियर नेता सोनिया गांधी ने की. अंत एक तरह से कांग्रेस के ही सांसद राहुल गांधी ने की है. और दोनों नेताओं का सबसे ज्यादा जोर महिला आरक्षण बिल में OBC यानी पिछड़े वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण देने पर देखने को मिला है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनो के भाषण देखें तो एक ही फर्क नजर आता है. राहुल गांधी जहां अपना पसंदीदा टॉपिक उद्योगपति गौतम अदाणी का नाम लेना नहीं भूले, सोनिया गांधी ने अपने भाषण में ऐसा कुछ नहीं कहा.
महिला आरक्षण में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग से तो ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी ने क्षेत्रीय दलों से तकरार खत्म करने का फैसला कर लिया है. आपको याद होगा राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान समाजवादी पार्टी को टारगेट करते हुए कह रहे थे कि क्षेत्रीय दलों को ही कांग्रेस के साथ आना होगा क्योंकि उनके पास ऐसी कोई विचारधारा नहीं है जो उनको राष्ट्रीय स्तर पर स्पेस दे सके. लेकिन अब उलटी गंगा बहती हुई लगती है.
महिला आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘ये महिलाओं के लिए बहुत जरूरी कदम है… ये लोग हमारे बराबर हैं और कई मामलों में हमारे से आगे भी हैं.’और फिर सोनिया गांधी की ही तरह विपक्ष के मुद्दे पर आ गये, ‘लेकिन बिल अधूरा है…. हम इसमें ओबीसी आरक्षण की मांग की करते हैं.’
राहुल गांधी ये तो मानते हैं कि महिला आरक्षण बिल को लागू करने के लिए जनगणना और चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन की जरूरत है, लेकिन उनको ये काम मुश्किल नहीं लगता. कहते हैं, मेरी राय है कि ये अभी लागू हो सकता है… इसके लिए लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित करनी होगी.
कांग्रेस पार्टी 2022 के यूपी चुनाव में महिला उम्मीदवारों को लेकर ये प्रयोग भी कर चुकी है. कांग्रेस महासचिव और यूपी की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की पहल पर विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया गया था.
जातिगत जनगणना की मांग, ओबीसी की उपेक्षा का आरोप
राहुल गांधी ने भी जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन किया है. इससे पहले सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी – संसद में उनके भाषण में भी इस बात की झलक देखने को मिली.
राहुल गांधी का कहना है कि ओबीसी आरक्षण के बिना महिला आरक्षण का मामला अधूरा रहेगा. संसद में राहुल गांधी कह रहे थे, ये एक बड़ा कदम है, लेकिन मेरे लिए यह अधूरा है… क्योंकि ओबीसी महिलाओं के एक बड़े हिस्से के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है.
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार में काम कर रही नौकरशाही को लेकर भी ओबीसी का मुद्दा उठाया. राहुल गांधी ने कहा, केंद्र सरकार में 90 सचिव हैं… और उनमें से सिर्फ 3 ही अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं… और यही पांच फीसदी लोग बजट को कंट्रोल करते हैं… ये ओबीसी समुदाय का अपमान है. राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि जब भी विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, बीजेपी ध्यान हटाने की कोशिश करती है… ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ओबीसी के मुद्दे पर लोगों का ध्यान न जा सके.
कांग्रेस को श्रेय, बाकी विपक्ष को साथ लेने की कोशिश
सोनिया गांधी ने तो महिला आरक्षण बिल से भावनात्मक लगाव जाहिर किया ही था, राहुल गांधी भी ये बताना नहीं भूले कि ये कांग्रेस पार्टी ही है जिसने सबसे पहले पंचायती राज में महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया. हालांकि, फौरन अपनी बात सुधारते हुए ये भी बोले कि महिला आरक्षण का मसला उससे काफी बड़ा है.
सोनिया गांधी ने तो संसद में कहा ही था कि महिला आरक्षण बिल उनके जीवनसाथी राहुल गांधी की पहल का नतीजा है. हां, मां-बेटे ने मिलकर जिस तरह से ओबीसी और जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया है, मकसद तो विपक्षी गठबंधन INDIA को मजबूती देना ही लगता है.
वैसे सोनिया गांधी और राहुल गांधी की इस पहल से लगता तो यही है कि कांग्रेस कमजोर हो रही है, लेकिन शायद ये वक्त की डिमांड भी है. अगर कांग्रेस ने हेकड़ी दिखाने की कोशिश की तो क्षेत्रीय दल मुंह मोड़ लेंगे – और कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगेगा.
लेकिन, राहुल गांधी का दोबारा अडानी राग
मौका कोई भी हो, राहुल गांधी उद्योगपति गौतम अडानी के कारोबार का जिक्र करना नहीं भूलते. महिला आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बोलते वक्त भी राहुल गांधी अदाणी का नाम नहीं लेना भूले. हालांकि, जिस तरह एक झटके में राहुल गांधी ने अदाणी का नाम लिया और आगे बढ़ गये, साफ साफ लग रहा था कि उनका मकसद बीजेपी नेताओं को चिढ़ाना भर था. बेशक राहुल गांधी ने संसद में एक बार अडानी के मुद्दे पर जोरदार भाषण दिया था, लेकिन धीरे धीरे इस मुद्दे पर वो विपक्षी नेताओं का समर्थन गंवाते जा रहे हैं. INDIA गठबंधन की मुंबई बैठक से ही खबर आयी थी कि एक मौके पर राहुल गांधी के अदाणी का नाम लेने भर से ममता बनर्जी आपे से बाहर हो गयी थीं.