सूरज से जगेगी उम्मीद की किरण, या सोता रह जाएगा विक्रम? चंद्रयान-3 के लिए कल बड़ा दिन

नई दिल्ली,

Vikram Lander चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जिस जगह है, वहां पर सूरज की रोशनी 13 डिग्री पर पड़ रही है. इस एंगल की शुरुआत 0 डिग्री से शुरू होकर 13 पर खत्म हो गई. यानी सूरज की रोशनी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर टेढ़ी पड़ रही है. 6 से 9 डिग्री एंगल पर सूरज की रोशनी इतनी ऊर्जा देने की क्षमता रखता है कि विक्रम नींद से जाग जाए.

ये बात इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम शंकरन ने एक अंग्रेजी अखबार से कही. उन्होंने बताया कि विक्रम और प्रज्ञान की सेहत का असली अंदाजा 22 सितंबर तक हो जाएगा. ये बात तो तय है कि अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अगर जग गए और काम करना शुरू कर दिया तो ये इसरो के लिए बोनस होगा.

अब तक जितना डेटा भेजा गया है, उस हिसाब से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का मिशन पूरा हो चुका है. अगर लैंडर उठ गया तो भी बहुत सारा डेटा हमें वापस मिलेगा. कई सारे इन-सीटू एक्सपेरिमेंट फिर से हो सकेंगे. जगने के बाद कई डेटा और मिलेंगे, जिनकी एनालिसिस करके रिजल्ट आने में कई महीने लगेंगे. कुछ नई जानकारी मिल सकती है.

जग गए विक्रम-प्रज्ञान तो मिलेगी नई जानकारी
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर लगे यंत्र जो चांद की सतह, भूकंपीय गतिविधियों, तापमान, तत्व, खनिज, प्लाज्मा आदि की जांच कर रहे हैं, वो फिर से काम करने लगें तो हैरानी नहीं होगी. हालांकि जरूरी नहीं कि ऐसा हो, क्योंकि ये सारे यंत्र माइनस 250 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बर्दाश्त कर चुके हैं. कौन सा यंत्र सही है, कौन नहीं… ये पता नहीं.

शिव शक्ति प्वाइंट पर सुबह 20 सितंबर को हो गई
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से 600 km दूर मौजूद शिव शक्ति प्वाइंट पर 20 सितंबर को सुबह हो गई थी. तब से वहां रोशनी है. सूरज की रोशनी जो अगले 14-15 दिनों तक रहेगी. फिलहाल विक्रम लैंडर का रिसीवर ऑन है. बाकी सारे यंत्र बंद है. 22 सितंबर को इसरो वैज्ञानिक फिर से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास करेंगे.

तब तक लैंडर के अंदर लगी बैटरी चार्ज हो जाएगी. सारे यंत्र ठंड से निकलने के बाद गर्म हो चुके होंगे. एक्टिव हो चुके होंगे. विक्रम लैंडर को 4 सितंबर 2023 को सुला दिया गया है. उसके सारे पेलोड्स बंद कर दिए गए थे. विक्रम अपने सोने से पहले एक बार और चांद पर छलांग भी लगा चुका है. छलांग के पहले और बाद की फोटो भी ISRO ने जारी भी की थी. जिसमें जगह बदली हुई दिख रही है.

विक्रम ने ये छलांग 3 सितंबर लगाई थी. अपनी जगह से कूदकर 30-40 सेंटीमीटर दूर गया था. हवा में 40 सेंटीमीटर ऊपर तक कूदा था. विक्रम की यह छलांग भविष्य के सैंपल रिटर्न और इंसानी मिशन में ISRO की मदद करेगा.

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