नई दिल्ली
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने देश में छिड़ी योग्यता यानी मेरिट की बहस को हास्यास्पद बताते हुए द वीक को दिए एक इंटरव्यू में कहा है, “मेरा अपना अनुभव कहता है कि योग्यता यानी मेरिट सबसे बड़ा मिथक है। योग्यता का संबंध संसाधनों, आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और आपको मिलने वाले अवसरों से है। अगर कोई मानता है कि 70 साल का आरक्षण पर्याप्त है, तो मैं मोहन भागवत द्वारा हाल ही में कही गई बात को उद्धृत करना चाहता हूं, बड़े सामाजिक बदलावों में समय लगता है।”
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण पर मनोज झा की राय
बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में सबसे ज्यादा आबादी पिछड़े समुदाय की है। बिहार में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की संख्या 27.12% और ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) की संख्या 36.01% है। दोनों वर्गों को मिला दें तो बिहार की आबादी में पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी 63% है।
मनोज झा से सवाल था कि बिहार सरकार इन आंकड़ों का क्या करने वाली है, क्या इससे आरक्षण का फॉरमेंट भी बदलेगा? झा ने जवाब दिया, “बिहार सरकार भविष्य की अपनी नीतियां इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखकर बनाएगी। डेटा का उपयोग सभी संभव कार्यों में किया जाएगा। इसमें से एक आरक्षण भी है। हम केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे कि जब वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सरकारी कंपनियों/संस्थानों) को बेच रही है और रोजगार कम हो रहा है, तो हमें निजी क्षेत्र के साथ बातचीत करनी चाहिए, ताकि विविधता (सभी वर्ग का प्रतिनिधित्व) उनकी भर्तियों में भी नजर आए।”
मनोज झा के इस बयान से सवाल उठता है कि क्या वह प्राइवेट सेक्टर में भी जाति के आधार पर आरक्षण चाहते हैं? ‘प्राइवेट सेक्टर’ नाम पर ही आपत्ति जताते हुए मनोज झा कहते हैं, “निजी क्षेत्र एक गलत नाम है। निजी क्षेत्र उतना भी निजी नहीं है। वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लोन लेते हैं, सरकार से जमीन लेते हैं और टैक्स में छूट भी लेते हैं। इन सबके साथ इसे निजी क्षेत्र नहीं कहा जा सकता।”
वर्ग | संख्या | संख्या (प्रतिशत में) |
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) | 4,70,80,514 | 36.01% |
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) | 3,54,63,936 | 27.12% |
अनुसूचित जाति (SC) | 2,56,89,820 | 19.65% |
अनुसूचित जनजाति (ST) | 21,99,361 | 1.68% |
सवर्ण जातियां | 2,02,91,679 | 15.52% |
किस वर्ग की कितनी आबादी? (सोर्स- बिहार सरकार)
EWS पर मनोज झा की आपत्ति क्या है?
साल 2019 में मोदी सरकार ने संविधान में संशोधन कर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी। इसे ईडब्लूएस आरक्षण के नाम से जाना जाता है। मनोज झा का कहना है कि EWS के लागू होने से लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन किया गया। उसे बिना आंकड़ा जुटाए लागू किया गया।
वह इंटरव्यू में कहते हैं, “2011 में जनगणना से पहले लालू जी, मुलायम जी, शरद यादव और यहां तक कि भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने भी इस मुद्दे को उठाया था। यदि 50 प्रतिशत तक कोटा एक लक्ष्मण रेखा था, तो ईडब्ल्यूएस कोटा लागू कर उसका उल्लंघन किया गया।”
बता दें कि मनोज कुमार झा पिछले दिनों दलित साहित्यकार ओम प्रकाश वाल्मीकि की एक कविता ‘ठाकुर का कुंआ’ को लेकर चर्चा में थे। मनोज झा ने यह कविता संसद में महिला आरक्षण बिल पर बोलने के दौरान पढ़ी थी। कविता से नाराज एक वर्ग मनोज झा को बुरा-भला कहने लगा। बाद में झा ने द इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिख सवाल उठाया कि आपको ‘ठाकुर का कुआं’ से दिक्कत है या सदन में एक सांसद के पढ़ने से?