नई दिल्ली
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच एक बार फिर से विवाद बढ़ सकता है। दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक बार फिर से केजरीवाल सरकार को झटका दिया है। एलजी विनय कुमार सक्सेना ने बामनोली जमीन अधिग्रहण मामले में दिल्ली सरकार की रिपोर्ट पर विचार करने से मना कर दिया है। इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मर्लेना ने 600 से ज्यादा पन्नों की एक रिपोर्ट एलजी को भेजी थी। उसमें उन्होंने मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने का अनुरोध किया था। लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस रिपोर्ट पर विचार करने से ही इनकार कर दिया। उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट मंत्री की काल्पनिक धारणाओं पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट मौजूदा जांच को नुकसान पहुंचा सकती है।
एलजी ने दिल्ली सरकार को भेजी गई फाइल में कहा है कि इस रिपोर्ट में निगरानी से जुड़े संवेदनशील मामले हैं और इसे मेरे सचिव के लिफाफे में भेजा गया है, जो पहले से ही पब्लिक डोमेन में है। इस रिपोर्ट की डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक कॉपी आसानी से उपलब्ध है और इस पर मीडिया कवरेज भी जारी है। एलजी ने कहा कि इस रिपोर्ट की कुछ बातें मीडिया में लीक हो गई है और ऐसा लग रहा है कि मीडिया ट्रायल शुरू करना और इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाना एक लक्ष्य है। एलजी ने यह भी कहा कि इस मामले में सीबीआई पहले से ही जांच कर रही है।
मुख्य सचिव नरेश कुमार ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार के लिए की गई सतर्कता कार्रवाई के जवाब में स्वार्थ वाले व्यक्ति उनके खिलाफ कीचड़ उछालने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय द्वारा एलजी को सौंपी गई सतर्कता मंत्री की 670 पन्नों की रिपोर्ट में नरेश कुमार के निलंबन की मांग की गई है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मामले में अनुचित लाभ का पैमाना 897 करोड़ रुपये से अधिक है। 19 एकड़ भूमि को द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 2018 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित किया गया था। इसी मामले में नरेश कुमार पर आरोप लग रहे हैं।