‘किस कानून के तहत…’, CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र से पूछा- आप एक IAS अधिकारी पर क्यों अटके

नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह नए चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति होने तक दिल्ली के मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल सीमित अवधि तक के लिए बढ़ाना चाहती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि सरकार किस प्रावधान के तहत ऐसा करना चाहती है। दिल्ली के मौजूदा चीफ सेक्रेटरी का कार्यकाल 30 नवंबर को खत्म हो रहा है।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच को बताया कि, ‘जब तक नई नियुक्ति नहीं हो जाती, हम वर्तमान मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ाना चाहते हैं।’वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘केंद्र अकेले एक अधिकारी को ही पद पर बनाए रखने को कैसे इच्छुक है। केंद्र पदानुक्रम में शीर्ष पांच आईएएस अधिकारियों में से क्यों नहीं चुन सकता? केंद्र केवल इस अधिकारी को क्यों चाहता है?’

‘आप किस कानून के तहत मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ा रहे’
सिंघवी ने बेंच को याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली सरकार को सेवा अधिकार (Services Authority) दिया था, लेकिन केंद्र अध्यादेश लेकर आया और जिसके कारण मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए दिल्ली सरकार को दी गई मूल शक्ति खत्म हो गई। इस पर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “आप किस शक्ति के तहत मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ा रहे हैं? वह कानून हमारे पास लाएं या आप नई नियुक्ति करें।”

हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने बेंच को बताया कि विस्तार केवल सीमित अवधि के लिए था और नई नियुक्ति की जाएगी। लेकिन पीठ ने कहा, “जब कोई व्यक्ति सेवानिवृत्त हो रहा है, तो नई नियुक्ति क्यों नहीं की जा सकती? क्या आपके पास पूरे भारत से केवल एक ही योग्य व्यक्ति है जो मुख्य सचिव बन सकता है? आप जिसे चाहें नियुक्त कर सकते हैं? आप एक आईएएस अधिकारी पर क्यों अटके हुए हैं?” इसके बाद बेंच ने केंद्र से बुधवार (29 नवंबर) तक उन प्रावधानों के बारे में बताने को कहा जिसके तहत वर्तमान मुख्य सचिव को विस्तार दिया जा सकता है।

दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा था, ‘2023 का संशोधन अधिनियम न केवल 2023 की संविधान बेंच के फैसले का उल्लंघन है, बल्कि मूल रूप से अलोकतांत्रिक भी है, क्योंकि यह अनुच्छेद 239एए के माध्यम से अंतर्निहित संवैधानिक योजना को अपने सिर पर रख देता है। केजरीवाल सरकार ने आगे कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति का एकमात्र विवेक उपराज्यपाल के हाथों में सौंपना। ऐसा करने से, यह स्थायी कार्यकारिणी के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य, मुख्य सचिव की नियुक्ति के मामले में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को मूक दर्शक बना देता है।’

याचिका में कहा गया, ‘प्रभावी और सुचारू शासन के लिए, यह राज्य सरकार है, जिसे स्थानीय लोगों का जनादेश प्राप्त है, जो मुख्य सचिव की नियुक्ति करती है। इस कारण से अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 के तहत बनाए गए प्रासंगिक नियम और विनियम विवेक पर निर्भर हैं। राज्य कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 7(2) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य कैडर के मामले में कैडर पदों पर सभी नियुक्तियां राज्य सरकार द्वारा की जाएंगी। इस व्यवस्था के पीछे के तर्क को इस कोर्ट ने बार-बार माना है।’

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