मेदिनी ज्योतिष में राहु-केतु को सूक्ष्म जीवों से संचालित संक्रामक महामारी का कारक ग्रह माना जाता है। भद्रबाहु संहिता के अनुसार केतु के गुरु से युति कर पीड़ित होने पर बुखार और गले के रोगों से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है। वर्ष 2019 की आखिरी तिमाही में गुरु और केतु की युति धनु राशि में बन रही थी, जिस समय चीन के वूहान शहर से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था। बाद में धनु राशि में 26 दिसंबर 2019 को लगे एक बड़े सूर्य ग्रहण के बाद कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला और विश्व स्वस्थ्य संगठन ने 11 मार्च 2020 को इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया।
भारत सहित तमाम दुनिया के देशों में त्राहिमाम मचा चुका कोरोना वायरस नवंबर 2022 में चीन में तेज़ी से फैलने के बाद इस वर्ष के शुरू में लगभग बेअसर सा हो कुंगया था, किन्तु अक्टूबर 2023 के दूसरे पखवाड़े में पड़े वलयाकार सूर्य ग्रहण और आंशिक चंद्र ग्रहण के बाद कोरोना वायरस के ओमिक्रोंन वैरिएंट में म्युटेशन के बाद नए जन्मे जेएन.1 वायरस ने चीन, सिंगापूर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में रहस्यमय निमोनिया के मामले सामने लाए। भारत में दिसम्बर के महीने में जेएन.1 सब-वैरिएंट केरल और तमिलनाडु में तेज़ी से फैलना शुरू किया। अभी हाल ही में 28 दिसंबर को प्रसिद्ध तमिल अभिनेता और राजनीतिज्ञ विजयकांत का स्वर्गवास निमोनिया के कारण 71 वर्ष की आयु में कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हुआ।
इस कारण से अधिक तबाही नहीं लाएगा कोरोना का यह नया रूप
हिन्दू ज्योतिष में फेफड़ों के लिए कर्क राशि, श्वास नलिका के लिए मिथुन राशि तथा मुख के लिए वृषभ राशि को देखा जाता है। वायरस से फैलने वाले संक्रामक रोगों का प्रभाव मनुष्य के फेफड़े, श्वास प्रणाली, गले और मुख में अधिक होता है। 2019 में कोरोना वायरस के प्रसार के समय मिथुन राशि में राहु का संचार था तथा कर्क राशि पर शनि की दृष्टि होने के चलते पीड़ा थी। वर्तमान में मिथुन राशि और कर्क राशि पर किसी बड़े पाप ग्रह जैसे शनि, राहु या केतु का कोई प्रभाव नहीं है। अत: कोरोना का नया जेएन.1 सब-वैरिएंट तेज़ी से फैलने के बावजूद अधिक घातक नहीं होगा। किन्तु चूंकि वर्तमान गोचर में आरोग्य के कारक ग्रह गुरु पर शनि की दृष्टि पड़ रही है इसलिए सामान्य जन को सर्दियों में होने वाले निमोनिया और गले के रोगों से अधिक पीड़ित होना होगा।
फरवरी के महीने में होगी असामान्य वर्षा और सर्दी के रोग
फरवरी के महीने में मंगल के जल तत्व की राशि मकर में गोचर के समय उसकी युति सूर्य और बुध से होगी जिसके चलते असामान्य वर्षा का योग बनता है। फरवरी और मार्च में तापमान सामान्य से कुछ कम रहने तथा मंगल के गोचर में कर्क राशि को दृष्टि से पीड़ित करने के कारण निमोनिया और बुखार के मामले अधिक बढ़ सकते हैं जिसका कारण जेएन.1 सब-वैरिएंट का समुदाय में प्रसार भी हो सकता है। फरवरी और मार्च के महीने में गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार कोई निर्देश दे सकती है।
इन सबके बावजूद स्थिति नियंत्रण में रहेगी और देश में चुनावों के बीच कोरोना का यह नया वैरिएंट कोई बड़ी चिंता का कारण नहीं बनेगा। इसके साथ ही वर्तमान में गोचर में हृदय को प्रभावित करने वाली सिंह राशि पर कुंभ राशि से गोचर कर रहे सूर्य की सातवीं दृष्टि पड़ रही है जिसके चलते अगले कुछ महीनों में देश में हृदय रोग के मामले बढ़ सकते हैं।