गाजा
इजरायल में 7 अक्टूबर को 1400 लोगों की हत्या करने वाले हमास आतंकी अब मुस्लिम देशों के रवैये काफी निराश हो गए हैं। इजरायली सेना अपनी जवाब में गाजा में कहर बरपा रही है लेकिन हमास को कहीं से मदद नहीं मिल रही है। इजरायली हमले में अब तक 22 हजार से ज्यादा फलस्तीनी मारे मारे गए हैं जिससे हमास पर जनता का दबाव बढ़ता जा रहा है। हमास को उम्मीद थी कि जब वे इजरायल पर हमला करेंगे तो उन्हें ईरान, कतर, सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देशों का साथ मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यही वजह है कि अब हमास ने मुस्लिम देशों से गुहार लगाई है कि मुस्लिम देश इजरायल से लड़ने के लिए गाजा में अपनी सेना नहीं भेजें बल्कि युद्ध को खत्म कराने के लिए अपनी बात पर कायम रहें।
हमास के प्रवक्ता खालिद कदोमी ने पाकिस्तानी जिओ टीवी के साथ बातचीत में कहा कि मुस्लिम देशों को इजरायल के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए सेना भेजने की जरूरत नहीं है लेकिन वे युद्ध को लेकर अपनी बात पर कायम रहें। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में अब तक हजारों की तादाद में लोग मारे गए हैं। इससे पहले इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने कहा था कि गाजा में युद्धापराध हो रहा है जो बर्बर और अमानवीय नरसंहार है और इसे इजरायल बंद करे। खालिद ने कहा कि ओआईसी के केवल बयान से देने से कुछ नहीं होगा क्योंकि मानवीय संकट लगातार बढ़ता जा रहा है।
‘ओआईसी के पास इजरायल को झुकाने की क्षमता’
हताश खालिद ने ओआईसी से कहा, ‘आप वह करो जो कहा है। आपने कहा था कि आप इस युद्ध को खत्म कराना चाहते हैं। यह 57 देशों का संगठन है। इन देशों के पास इजरायल सरकार, अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बनाने के लिए काफी ज्यादा क्षमता है ताकि युद्ध को रोका जा सके। ओआईसी के पास इतनी ज्यादा राजनयिक क्षमता है कि वे राफा गेट को खोलकर बडे़ पैमाने पर मानवीय सहायता को गाजा में भेज सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि गाजा में केवल 100 ट्रक मानवीय सामग्री आ रही है, वह भी नेतन्याहू के आदेश देने के बाद। बता दें कि ओआईसी पर सऊदी अरब का दबदबा है जो हमास के साथ खुलकर आने से बच रहा है। वहीं ईरान चाहकर भी अमेरिकी खौफ से युद्ध में आ नहीं रहा है। ईरान अपने प्रॉक्सी संगठनों हिज्बुल्ला और हूती विद्रोहियों की मदद से हमास की मदद करने में जुटा है।
गाजा प्रवक्ता का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के तीन महीने बाद गाजा के हालात इतने अधिक खराब हो गए हैं कि यह जगह अब रहने लायक नहीं बची है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के अवर सचिव मार्टिन ग्रिफिथ्स ने शुक्रवार को यह बात कही और साथ ही चेतावनी दी कि गाजा में भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है तथा वहां एक भीषण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा की स्थिति पैदा हो सकती है। इजराइल में हमास के आतंकवादियों द्वारा सात अक्टूबर को किए गए हमले के बाद इजरायली सेना की ओर से की गयी जवाबी कार्रवाई के विनाशकारी प्रभावों का आकलन करते हुए ग्रिफिथ्स ने कहा कि गाजा के 23 लाख लोग “प्रतिदिन अपने अस्तित्व के लिए पैदा हो रहे खतरों” का सामना करते हैं जबकि दुनिया सिर्फ देखती रहती है।
संयुक्त राष्ट्र ने गाजा पर दी सख्त चेतावनी
ग्रिफिथ्स ने कहा कि इस युद्ध में अब तक हजारों लोग मारे गए हैं अथवा घायल हुए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। अधिकारी ने कहा कि गाजा में तापमान में गिरावट के बीच कई परिवार खुले में सोने को मजबूर हैं, और जिन क्षेत्रों में फलस्तीनियों को स्थानांतरित होने के लिए कहा गया था, उन क्षेत्रों पर भी बमबारी की गई है। मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा, ‘‘गाजा में लोग खाद्य असुरक्षा के अब तक के उच्चतम स्तर का सामना कर रहे हैं और भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है। गाजा अब रहने लायक नहीं रह गया है। ’’ उन्होंने कहा कि गाजा में आंशिक रूप से सक्रिय कुछ अस्पतालों में मरीजों की तादाद काफी अधिक है और चिकित्सा सामग्री तथा दवाइयों की आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित है। इस बीच, अस्पतालों पर लगातार हमले हो रहे हैं और संक्रामक रोग फैल रहे हैं। इस अराजकता के बीच लगभग 180 फलस्तीनी महिलाएं प्रतिदिन प्रसव पीड़ा से गुजरती हैं।
अवर सचिव ग्रिफिथ्स ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने और सभी बंधकों की रिहाई के लिए संयुक्त राष्ट्र की मांग को दोहराते हुए कहा कि यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस युद्ध को समाप्त कराने के लिए हरसंभव प्रयास करे। इजराइल-हमास युद्ध की वजह से पहले ही गाजा की 23 लाख आबादी का 85 फीसदी हिस्सा विस्थापित हो चुका है, जिससे क्षेत्र का उत्तरी इलाका वीरान हो गया है। इजराइल के हवाई और जमीनी हमले बढ़ने के कारण दक्षिण में भी विस्थापन का खतरा बढ़ गया है। फलस्तीनी नागरिकों को अब कोई भी जगह सुरक्षित नहीं लग रही है। इजराइली सेना के व्यापक अभियान ने पहले ही उत्तरी गाजा के अधिकांश हिस्सों को वीरान कर दिया है। युद्ध में पहले ही 21,300 से अधिक फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है और भीषण मानवीय संकट पैदा हो गया है, जिससे गाजा की एक चौथाई आबादी भुखमरी का सामना कर रही है।