लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न, पीएम नरेंद्र मोदी ने किया ऐलान

नई दिल्ली,

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. इसकी जानकारी खुद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए दी है.

पीएम मोदी ने खुद दी जानकारी
PM Modi ने लिखा, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी. हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, आडवाणी जी का भारत के विकास में अविस्मरणीय योगदान है. उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है. उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. उनके संसदीय कार्य हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं.’

पीएम मोदी ने आगे लिखा, ‘सार्वजनिक जीवन में आडवाणी जी की दशकों लंबी सेवा को पारदर्शिता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के रूप में जाना जाता है जिसने राजनीतिक नैतिकता में एक अनुकरणीय मानक स्थापित किए. उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में शानदार प्रयास किए हैं. उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत अवसर मिले.’

गडकरी ने पीएम मोदी को कहा-थैंक्यू
आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘देश के वरिष्ठतम नेता और हमारे मार्गदर्शक आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न की घोषणा अत्यंत सुखद और आनंददाई है. आज़ादी के बाद देश के पुनर्निर्माण में आडवाणी जी की अहम भूमिका रही है. आडवाणी जी राजनीति में शुचिता के जीवंत उदाहरण है. आडवाणी जी को ‘भारत रत्न’ घोषित करने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी धन्यवाद देता हूं तथा आडवाणी जी के स्वस्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना करता हूं.’

तीन बार रहे पार्टी अध्यक्ष
लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जो 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं.पहली बार वह 1986 से 1990 तक अध्यक्ष रहे और उसके बाद 1993 से 1998 और फिर 2004 से 2005 तक पार्टी अध्यक्ष रहे.बतौर सांसद 3 दशक की लंबी पारी खेलने के बाद आडवाणी पहले गृह मंत्री रहे, बाद में अटल जी की कैबिनट में (1999-2004) उप-प्रधानमंत्री बने.

पाकिस्तान में हुआ जन्म
आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को सिन्ध प्रान्त (पाकिस्तान) में हुआ था. वह कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़ें हैं और उनके देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया. 1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके क्योंकि आजादी के महज कुछ घंटों में ही उन्हें अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा.

हालांकि उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प लेकर वह राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के काम में लगे रहे. 1957 में आडवाणी को राजस्थान छोड़कर दिल्ली आने के लिए कहा गया जिससे कि वह लोग अटल और नवनिर्वाचित सासंदों की मदद कर सकें. दिल्ली में दफ्तर में करीब 3 साल तक काम करने के बाद आडवाणी ने अपने जीवन का एक नया अध्याय बतौर पत्रकार शुरू किया और 1960 में उन्होंने ऑर्गनाइजर में सहायक संपादक पदभार संभाला.

1980 से 1990 के बीच आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए अपना पूरा समय दिया और इसका परिणाम तब सामने आया, जब 1984 में महज 2 सीटें हासिल करने वाली पार्टी को लोकसभा चुनावों में 86 सीटें मिली जो उस समय के लिहाज से काफी बेहतर प्रदर्शन था. पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 पर पहुंच गई. आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और बीजेपी सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी.

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