सस्‍ता होगा होम-कार लोन? क्‍या एक साल बाद RBI ब्‍याज दरों में करेगा कटौती, एक्‍सपर्ट्स की राय

मुंबई

भारतीय रिजर्व (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक छह फरवरी को शुरू होगी। अंतरिम बजट के ठीक बाद आरबीआई रेपो रेट को यथावत बनाए रख सकता है। यह राय एक्‍सपर्ट्स की है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को छोटी अवधि के लिए उधार देता है। जानकारों का कहना है कि केंद्रीय बैंक इस सप्ताह अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में नीतिगत दरों में कोई बदलाव शायद ही करे। कारण है कि खुदरा महंगाई की दर अब भी संतोषजनक दायरे के ऊपरी स्तर के करीब है। रिजर्व बैंक ने लगभग एक साल से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। इसे आखिरी बार फरवरी 2023 में 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया गया था।

जब आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो इसका मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज दर पर पैसा मिलेगा। इससे बैंकों के लिए ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन देना आसान हो जाता है। यह बदले में लोगों और व्यवसायों के लिए उधार लेना आसान बनाता है। इससे खर्च और निवेश को बढ़ावा मिलता है। यह आर्थिक विकास को गति दे सकता है और मुद्रास्फीति को कम कर सकता है। इसके उलट जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो इसका विपरीत असर होता है। बैंकों को आरबीआई से ज्‍यादा ब्याज दर पर पैसा मिलता है। इसलिए वे ग्राहकों को ज्‍यादा ब्याज दर पर लोन देते हैं। इससे उधार लेना महंगा हो जाता है।

महंगाई की दर अभी ज्‍यादा
खुदरा महंगाई की दर जुलाई, 2023 में 7.44 फीसदी के ऊंचे स्तर पर थी। उसके बाद इसमें गिरावट आई है। हालांकि, यह अब भी ज्‍यादा ही है। दिसंबर 2023 में खुदरा महंगाई की दर 5.69 फीसदी थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई की दर को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।

आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली एमपीसी की तीन दिन की बैठक छह फरवरी को शुरू होगी। गवर्नर शक्तिकांत दास आठ फरवरी को समिति के फैसले की घोषणा करेंगे।बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने अनुमान जताया कि एमपीसी दर और रुख, दोनों में यथास्थिति बनाए रखेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दिसंबर के आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई की दर अब भी ऊंची है। फूड इन्‍फ्लेशन पर दबाव है।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में सीपीआई आधारित महंगाई दर कम होने का अनुमान है। हालांकि, इसके लिए मानसून का रुख महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, ‘हमें आगामी समीक्षा में दरों या रुख में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है। अगस्त, 2024 में जाकर ही दर में कटौती देखी जा सकती है।’

पॉलिसी रेट में कटौती के फायदे:
यह लोन को सस्ता बनाता है: जब बैंकों को कम ब्याज दर पर पैसा मिलता है तो वे ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन देते हैं। इससे लोगों और व्यवसायों के लिए लोन लेना आसान हो जाता है।

यह अर्थव्यवस्था को रफ्तार देता है: जब लोन सस्ता होता है तो लोग और व्यवसाय अधिक खर्च करते हैं। इससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलती है।

यह रोजगार को बढ़ावा देता है: जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है तो कंपनियां अधिक लोगों को काम पर रखती हैं। इससे रोजगार बढ़ता है।

पॉलिसी रेट में कटौती के नुकसान:
यह महंगाई को बढ़ा सकता है: जब लोगों के पास ज्‍यादा पैसा होता है तो वे ज्‍यादा सामान और सेवाएं खरीदते हैं। इससे महंगाई बढ़ सकती है।

यह बैंकों के मुनाफे को कम कर सकता है: जब बैंकों को कम ब्याज दर पर पैसा मिलता है तो वे कम ब्याज दर पर ग्राहकों को लोन देते हैं। इससे बैंकों का मुनाफा कम हो सकता है।

About bheldn

Check Also

चीन 1, जापान 2, भारत 4… अपने पर उतर आएं ये देश तो घुटनों पर बैठ जाएगा अमेरिका, कहां से आई इतनी ताकत?

नई दिल्‍ली भारत ने अपनी आर्थिक ताकत से पूरी दुनिया को चौंका दिया है। अपने …