नई दिल्ली
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने GDP का नया फुल फॉर्म बताया है। उन्होंने इसमें जो ट्विस्ट डाला है उससे मोदी सरकार को जरूर मिर्ची लगेगी। पिछले 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के सरकार के दावों पर थरूर ने सवाल उठाया है। केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने GDP की नई तरह की व्याख्या की है। इसमें G का मतलब सरकारी घुसपैठ और कर आतंकवाद (गवर्नमेंट इंट्रूजन और टैक्स टेररिज्म), D का लोकतांत्रिक विश्वासघात (डेमोक्रेटिक बिट्रेयल) और P का गरीबी जारी रहना (पावर्टी कंटीन्यूइंग) बताया है। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) किसी देश में एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है। यह किसी देश की अर्थव्यवस्था के आकार और सेहत का एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर होता है।
बढ़ती बेरोजगारी का किया जिक्र
अंतरिम बजट 2024-25 पर सामान्य चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने कहा, ‘बेरोजगारी के अभूतपूर्व स्तर ने अनगिनत नागरिकों, खासतौर से हमारे युवाओं को एक उज्जवल कल की कुछ संभावनाओं के साथ छोड़ दिया है। हमारे देश के युवा श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट और चौंकाने वाली ऊंची बेरोजगारी की दोहरी मार झेल रहे हैं। रोजगार सृजन की स्थिति क्या है? हमें सरकार से पूछना होगा – किसका साथ और किसका विकास?’
सरकार के 11,11,111 करोड़ रुपये के कैपेक्स आवंटन पर भी थरूर ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘गणना के बारे में कुछ भी विशेष रूप से वैज्ञानिक नहीं है। एक मंत्री जो लकी नंबर चुनती हैं वह एक ऐसी अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर रही हैं जिसे किस्मत की जरूरत है।’
सीतारमण के जवाब में थरूर की जीडीपी डेफिनिशन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अंतरिम बजट में जीडीपी की नई परिभाषा गढ़ी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि जीडीपी का मतलब शासन (Governance) , विकास (Development) और प्रदर्शन (Performance) है। थरूर ने इस पर कहा, ‘सच यह कि जीडीपी आम लोगों की क्षमताओं को समान रूप से नहीं बढ़ा रही है। देश में…G का मतलब ‘सरकारी घुसपैठ और कर आतंकवाद’, D का ‘लोकतांत्रिक विश्वासघात’ और P का ‘गरीबी जारी है’ हो गया है।’
बेरोजगारी पर थरूर ने कहा कि सरकार की सफलता के दावों में दुखद विडंबना है। यह देखते हुए कि हताश युवा जंग के बीच इजरायल में अपनी जान जोखिम में डालने के लिए कतार में खड़े हैं। कारण है कि उनके पास भारत में अच्छा काम नहीं है। थरूर के मुताबिक, ‘अगर नोटबंदी एक गलत पॉलिसी थी, जिसे बुरी तरह से लागू किया गया। तो, जीएसटी एक अच्छा विचार था जिसे खराब तरीके से डिजाइन किया गया और खराब तरीके से लागू किया गया।’