नई दिल्ली
यूपीए कार्यकाल के 10 सालों पर मोदी सरकार एक श्वेत पत्र लेकर आई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ही इस श्वेत पत्र को पेश किया गया है। इस पत्र में यूपीए कार्यकाल की आर्थिक नीतियों पर जोरदार हमला हुआ है, कई मुद्दों पर घेरने का प्रयास किया गया है। इस समय सभी के मन में सवाल है कि मोदी सरकार इस श्वेत पत्र में ऐसा क्या लिखकर लाई है जिससे यूपीए की मनमोहक छवि बिगड़ जाएगी।
श्वेत पत्र में कौन से मुद्दे?
श्वेत पत्र में मोदी सरकार द्वारा बताया गया है कि UPA सरकार ने देश की आर्थिक नींव कमजोर कर दी थी। ऐसे फैसले लिए गए जि वजह से देश विकास में पिछड़ गया। इसके अलावा उसी श्वेत पत्र में जिक्र है कि यूपीए के समय रुपये में भारी गिरावट दर्ज की गई। सबसे बड़ी बात ये है कि जो यूपीए, मोदी सरकार पर आरोप लगाती है कि उसने बैंकिंग सेक्टर को तबाह कर दिया है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हीं को आईना दिखाने का काम किया है।
भ्रष्टाचार को बनाया बड़ा मुद्दा
एक अहम मुद्दा विदेशी मुद्रा भंडार का भी उठाया गया है। मोदी सरकार के मुताबिक यूपीए कार्यकाल के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर तक गिर गया था। ये गिरावट भी पिछली सरकार की कुरीतियों की वजह से बनी थी। इसके अलावा एक बड़ा आरोप ये लग गया है कि यूपीए ने ही अपनी गलत नीतियों से देश को कर्ज में डुबो दिया। उस कर्ज से बाहर निकलने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए गए।
कोयला आवंटन को लेकर घेरा
श्वेत पत्र में कोयला आवंटन को लेकर भी खुलासा किया गया है। यूपीए के घोटाले का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कोयला घोटाले ने 2014 में देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया। 2014 से पहले, कोयला ब्लॉकों का आवंटन पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने आधार पर किया गया था।इन कार्रवाइयों की जांच एजेंसियों द्वारा जांच की गई और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से आवंटित 204 कोयला खदानों / ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया।