चेन्नै:
हर साल जब विधान सभा बुलाई जाती है तो राज्यपाल की ओर से अभिभाषण देने की परंपरा रही है। इसमें राज्य सरकार की नीतियां, कार्ययोजनाएं और उपलब्धियां शामिल होती हैं। लेकिन केरल के बाद तमिलनाडु में इसके उलट ही परंपरा हुई है। दरअसल राज्यपाल और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) सरकार के बीच विवाद उस समय एक बार फिर सामने आ गया, जब रवि ने सोमवार को विधानसभा में अपना परंपरागत अभिभाषण शुरू करने के कुछ ही मिनटों बाद यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि वह अभिभाषण की सामग्री को लेकर सरकार से असहमत हैं। साथ ही उन्होंने राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) सरकार की आलोचना की।
तमिलनाडु विधान सभा सत्र
इस मामले में आज तमिलनाडु विधानसभा की बैठक हुई। चूंकि यह चालू वर्ष का पहला सत्र था, इसलिए राज्यपाल को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया था। वे सुबह 10 बजे शुरू हुए। सबसे पहले तमिल थाई अभिवादन गाया गया। उसके बाद राज्यपाल आरएन रवि का संबोधन हुआ। इसकी शुरुआत भी तमिल में हुई। नमस्कार अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्रियों और सदन के सदस्यों।
राष्ट्रगान दो बार बजाया जाना चाहिए
राज्यपाल रवि ने सदन में इस साल के अपने पहले अभिभाषण के दौरान कहा कि राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान दिखाने और इसे अभिभाषण की शुरुआत और अंत में बजाए जाने के उनके बार-बार (राज्य सरकार से) किए गए अनुरोध और सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया। विधानसभा में राज्यपाल के परंपरागत अभिभाषण के लिए सरकार ने 12 फरवरी को सदन की बैठक बुलाई थी।
अपनी आवाज देना संविधान का मजाक उड़ाने के बराबर
राज्यपाल ने कहा कि अभिभाषण में ऐसे कई संदेश हैं जिनसे वह तथ्यात्मक और नैतिक आधार पर साफतौर से असहमत हैं और इसलिए सरकार की जिस बात से वह असहमत हैं उसे अपनी आवाज देना संविधान का मजाक उड़ाने के बराबर होगा। उन्होंने कहा कि इसलिए मैं सदन में अपना अभिभाषण समाप्त करता हूं। मैं कामना करता हूं कि यह सदन लोगों की भलाई के लिए सार्थक और स्वस्थ चर्चा करे।