नई दिल्ली:
12 घंटे शिफ्ट की सलाह देने वाले इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति को कई बातों का अफसोस है। उनमें से एक उन प्रतिभावान कर्मचारियों के लिए भी है जो उनके साथ सबसे पहले जुड़े थे। नारायण मूर्ति को लगता है कि जो लोग इंफोसिस में उनके साथ शुरुआती दौर में जुड़े वह उनके साथ सैलरी और पैकेज में न्याय नहीं कर सके। उन्हें सह-संस्थापकों जितना रिवॉर्ड न कर पाने का नारायण मूर्ति के मन में मलाल है। नारायण मूर्ति का कहना है कि इंफोसिस से कई बेहद प्रतिभावान लोग शुरुआती दौर में जुड़े। यह और बात है कि वह उन्हें उस तरह से फायदा नहीं दे सके जैसा उन्होंने अन्य सह-संस्थापकों को दिया था।
न्यूज नेटवर्क ईटी ने नारायण मूर्ति के हवाले से कहा, ‘उन कर्मचारियों का योगदान मेरे जितना या मुझसे भी ज्यादा था। मैं केवल यही चाहता हूं कि मैंने इसके बारे में बहुत सावधानी से सोचा होता तो उन असाधारण लोगों को भी फायदा हुआ होता।’
कामकाज के तरीके में आया है बदलाव
नारायण मूर्ति ने कहा है कि इंफोसिस में उनके कार्यकाल के दौरान कोई भी फैसला लेने से पहले सभी के नजरियों पर विचार किया जाता था। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि लोकतंत्र की अपनी सीमाएं हैं। जीवन में पछतावे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘इंफोसिस ने जो किया है उससे कहीं बेहतर किया होता क्योंकि हमने एक शानदार माहौल बनाया था।’
मूर्ति ने ये बातें अपनी शादी की सालगिरह के जश्न पर एक पुस्तक लॉन्च पर की थीं। बीते दिनों नारायण मूर्ति ने युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। इस पर मीडिया में काफी चर्चा हुई थी। इसके कारण वह लगातार सुर्खियों में रहे थे। इसके बाद नारायण मूर्ति का एक और बयान सामने आया था। इसमें उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 3 शिफ्ट में काम करने की सलाह दी थी।नारायण मूर्ति मानते हैं कि युवा पीढ़ी को अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें ज्यादा काम करने की जरूरत है।