दिल्ली में AAP-कांग्रेस का गठबंधन, लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए कितनी टेंशन, जानें

नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी धड़े वाला इंडिया गठबंधन पटरी पर लौटता दिखाई दे रहा है। यूपी के बाद शनिवार को इंडिया गठबंधन ने दिल्ली में सीटों के समझौते पर बंटवारे की घोषणा कर दी। विपक्ष के इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस) ब्लॉक की यह दूसरी सफलता है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए दिल्ली, गुजरात और हरियाणा के लिए सीट-बंटवारे की भी घोषणा की। हालांकि, पंजाब को गठबंधन वार्ता से बाहर रखा गया था।

बीजेपी को कितनी चुनौती?
ऐसे में अब देखना है कि यूपी के बाद दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और गोवा में समझौते से बीजेपी को कितनी चुनौती मिलती है। हालांकि,पंजाब में गठबंधन नहीं होने भी अपने आप में दिलचस्प बनाता है। यह बीजेपी को विपक्षी धड़े पर पने हमले को तेज करने के लिए मौका देता है। बीजेपी इंडिया गठबंधन को इस मुद्दे पर को एक अवसरवादी गठबंधन कहने का अवसर नहीं गवांएगी। सभी राज्यों में सबसे जटिल और दिलचस्प मामला दिल्ली का है। यहां 7 लोकसभा सीटें हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में न तो AAP और न ही कांग्रेस दिल्ली की 7 सीटों में से एक भी जीतने में कामयाब रही है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि AAP ने लगातार दो विधानसभा चुनावों में बीजेपी पर बड़ी जीत दर्ज की है। ऐसे में यह देखना होगा कि यह गठबंधन बीजेपी को कितनी चुनौती दे पाएगा।

क्या कहते हैं आंकड़े
ऐसे में सवाल है कि क्या बीजेपी को इस गठबंधन से चिंतित होना चाहिए? खैर, वास्तव में नहीं, अगर 2019 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखा जाए तो यहीं संकेत मिलता है। 2019 में दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर भाजपा को 50% से अधिक वोट मिले। इसका मतलब है कि अगर कांग्रेस और AAP 2019 में एक साथ चुनाव लड़ते तो भी वे राष्ट्रीय राजधानी में बीजेपी को हराने में कामयाब नहीं होते। वोट शेयर एक दिलचस्प फैक्ट पर भी रोशनी डालता है। AAP भले ही पार्टी के लिए 4 लोकसभा सीटें बरकरार रखकर राष्ट्रीय राजधानी में बड़े भाई की भूमिका निभाने में कामयाब रही हो, 2019 के चुनावों में अरविंद केजरीवाल की पार्टी का वोट शेयर 7 में से 5 सीटों पर कांग्रेस से कम था। जाहिर है, जब राष्ट्रीय चुनावों की बात आती है, तो कांग्रेस का प्रदर्शन AAP से बेहतर होता है।

कैसा रहा AAP, कांग्रेस का प्रदर्शन
दरअसल, दिल्ली में AAP का वोट शेयर 2014 के लोकसभा चुनाव के 32.92% के मुकाबले घटकर 2019 में 18.11% हो गया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अपने वोट शेयर में 2014 में 15.15% से मामूली वृद्धि दर्ज की। यह 2019 में बढ़कर 22.51% हो गया। गठबंधन की गतिशीलता अक्सर जमीन पर अतिरिक्त गति दे सकती है, लेकिन ऐसा होने के लिए गठजोड़ की भावना होती है। इसे नेताओं और कार्यकर्ताओं तक पहुंचना होगा। दोनों पार्टियों के स्थानीय नेताओं के बीच रिश्ते इतने मधुर नहीं हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ऐसा होता है।

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