माता-पिता की मृत्यु के बाद सिर क्यों मुंडवाते हैं, जानें हिंदू धर्म में क्या है मान्यता

हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक हर एक के साथ कोई न कोई रीति-रिवाज जुड़े हुए हैं। घर में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो इस नवजीवन के आने की खुशी में कई तरह के प्रयोजन किए जाते हैं। बच्चे की छठी मनाना, नामकरण, हवन-पूजा जैसे कई संस्कार पूरे किए जाते हैं। इसी तरह हर मंगल कार्य जैसे नया व्यापार, नया घर या फिर कोई वाहन खरीदने से भी कोई न कोई रीति-रिवाज जुड़ा हुआ है। बात करें, जीवन के बाद मृत्यु की, तो मृत्यु के बाद मनुष्य इस संसार को त्यागकर चला जाता है लेकिन उसके घर-परिवार के लोग उसकी मुक्ति के लिए आवश्यक कई संस्कारों को पूरा करते हैं, जिससे कि इस संसार को छोड़ चुके उनके परिजन की आत्मा तृप्त हो सके। इन संस्कारों में से एक है सिर मुंडवाना। हिंदू धर्म में माता-पिता या किसी करीबी की मृत्यु के बाद सिर मुंडवाया जाता है। आइए, जानते हैं हिंदू धर्म में इसका क्या है महत्व।

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद लगता है पातक
गरुड़ पुराण के अनुसार जिस तरह घर में किसी बच्चे का जन्म होने के बाद सूतक लग जाता है, उसी तरह जिस घर में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, वहां सूतक लग जाता है। सूतक लगने के बाद मृत व्यक्ति के परिजनों को 13 दिनों तक पातक के नियमों का पालन करना पड़ता है। इस दौरान कई कार्यों को वर्जित माना जाता है। जैसे, मंगल कार्यों, नए चीजें खरीदना, नए कपड़े पहनना, रसोई में खाना पकाने आदि चीजें वर्जित मानी जाती हैं। इन्हीं नियमों में मुंडन भी शामिल होता है। बालों को भौतिक संसार से संपर्क और मोह से जोड़कर देखा जाता है। माता-पिता या फिर किसी अपने की मृत्यु के बाद उनके प्रति शोक या दुख को प्रकट करने के लिए सिर मुंडवाया जाता है, जिससे कि व्यक्ति का ध्यान कुछ दिनों के लिए सांसरिक मोह से हट सके। सिर मुंडवाकर मृतक के प्रति श्रद्धा और शोक को व्यक्ति किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार सिर मुंडवाने के बाद सूतक समाप्त हो जाता है।

आत्मा से संपर्क तोड़ने का माध्यम है मुंडन
माना जाता है कि बाल नकारात्मक ऊर्जा को भी आर्कषित करते हैं। इसका अर्थ यह है कि जब तक मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार और 13वीं नहीं हो जाती, वह फिर से अपने परिजनों के साथ संपर्क बनाने की कोशिश करती है। इस कारण से आत्मा का जीवन से हर तरह का संपर्क तोड़ने के लिए किसी के मरने के बाद मुंडन कराया जाता है।

स्वच्छता का भी रखा जाता है ध्यान
किसी के मरने के बाद मुंडन कराने का एक वैज्ञानिक पहलू यह भी है कि किसी के मरने के बाद स्वच्छता का भी बहुत ध्यान रखा जाता है। मृतक के आसपास या फिर श्मशान घाट में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं, इसलिए इनसे बचने के लिए कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है। स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखने के इन नियमों में मुंडन को भी शामिल किया जाता है।

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