नई दिल्ली,
बांग्लादेश में भले ही भारत के प्रति दोस्ताना व्यवहार रखने वाली सरकार है लेकिन वहां का विपक्ष भारत विरोधी मुहिम चलाने में जोर-शोर से जुटा हुआ है. बांग्लादेश में विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) मालदीव की तर्ज पर ही ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चला रही है. इस कैंपेन के तहत बांग्लादेश में भारत के प्रभाव को पूरी तरह से खत्म करने की मुहिम चलाई जा रही है और भारतीय सामान के बहिष्कार की भी अपील की जा रही है. ये पार्टी बांग्लादेश में भारत और हिन्दू विरोधी माहौल बना रही है और सोशल मीडिया के जरिए बांग्लादेश में भारत के खिलाफ जहर फैलाया जा रहा है.
बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी के प्रमुख नेता खुलकर भारत विरोधी बयान दे रहे हैं. आलम यह है कि विपक्षी पार्टी बीएनपी के प्रमुख नेता जनरल रुहुल कबीर रिजवी ने हाल ही में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन का समर्थन करते हुए अपनी कश्मीरी शॉल तक जला दी थी. भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देते हुए रिजवी ने यह भी कहा कि भारत बांग्लादेश के लोगों के साथ नहीं है बल्कि अवामी लीग यानी शेख हसीना की पार्टी का समर्थन करता है.
विपक्षी पार्टियों के ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को लेकर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी हमलावर हैं. रिजवी के कश्मीर शॉल जलाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि जब विपक्षी पार्टी के नेता अपनी पत्नियों की भारतीय साड़ियां जलाएंगे, तभी यह साबित होगा कि वे वास्तव में भारतीय उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. शेख हसीना ने भारतीय सामान के बहिष्कार की विपक्ष की मुहिम के बीच ही भारत से बड़ी मात्रा में प्याज निर्यात करने का भी फैसला किया है.
बांग्लादेश में क्यों शुरू हुआ ‘इंडिया आउट’ कैंपेन?
बांग्लादेश में हालिया आम चुनावों में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने एकतरफा जीत हासिल की थी क्योंकि विपक्ष ने इस चुनाव का बायकॉट किया था. विपक्ष का आरोप है कि भारत के दखल से शेख हसीना लगातार प्रधानमंत्री चुनाव जीतती आ रही हैं.चीन भी शेख हसीना सरकार और भारत के प्रति विपक्ष के रोष को भुनाने की पूरी कोशिश करता रहा है. मालदीव की तरह ही बांग्लादेश में भी भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है.
मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भले ही भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने वाली सरकार की बार-बार जीत हो रही है लेकिन वहां भारत विरोधी भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. पिछले साल 19 नवंबर को हुए क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 में इसका एक उदाहरण देखने को मिला जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत को हरा दिया. भारत की हार को बांग्लादेश में किसी उत्सव की तरह मनाया गया. हजारों लोग ढाका विश्वविद्यालय कैंपस में जमा हो गए और उन्होंने भारतीय टीम के खिलाफ नारेबाजी की.
भारत के खिलाफ विरोध की यह भावना केवल क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है बल्कि विश्लेषकों का कहना है कि हाल के वर्षों में बांग्लादेश के लोगों में भारत विरोधी भावना बढ़ी है. इसके पीछे की वजह बताते हुए जानकार कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगते हैं जो बांग्लादेश के मुसलमानों को रास नहीं आता. लेकिन भारत विरोध की सबसे बड़ी वजह भारत का अवामी लीग को समर्थन देना है जो पिछले 15 सालों से सत्ता में बनी हुई है. BNP के कार्यकर्ता कहते रहे हैं कि अवामी लीग 15 सालों से इसलिए सत्ता में बनी हुई है क्योंकि उसे भारत का समर्थन हासिल है.
भारत विरोध के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल
‘इंडिया आउट’ कैंपेन को लाखों बीएनपी समर्थक मिलकर चला रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई अकाउंट्स बनाए गए हैं जिनका इस्तेमाल इंडिया आउट कैंपेन को तेज करने के लिए किया जा रहा है. ऐसा ही एक अकाउंट है, ‘@revolt_71’. इस वैरिफाइड अकाउंट के जरिए भारत विरोधी ट्वीट लगातार किए जा रहे हैं. ट्वीट में हैशटैग इंडिया आउट का इस्तेमाल कर शेख हसीना सरकार पर निशाना साधा जा रहा है.
एक वीडियो शेयर करते हुए अकाउंट से ट्वीट किया गया है, ‘बांग्लादेश की बहुसंख्यक जनता भारत समर्थक शेख हसीना को पसंद नहीं करती है. भारत ने इस महिला को जबरदस्ती शासन करने के लिए हम पर थोप दिया है. इसलिए हम चाहते हैं कि शेख हसीना पद छोड़ें, भारत यहां से बाहर निकलो (India Out).’ सोशल मीडिया पर भारत विरोधी लोग, ‘भारत बांग्लादेश का दोस्त नहीं है’ और ‘भारत बांग्लादेश को बर्बाद कर रहा है’ जैसी बातें लिख रहे हैं.
इंडिया आउट कैंपेन का नेता कौन?
ऐसी कई रिपोर्टें सामने आई हैं जिसमें कहा जा रहा है कि बांग्लादेश में चल रही भारत विरोधी मुहिम का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी नेता खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान कर रहे हैं. बांग्लादेश की दो बार की प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान को आतंकवाद फैलाने का दोषी पाए जाने पर साल 2018 में 10 साल की सजा सुनाई गई थी. 21 अगस्त 2004 को अवामी लीग की रैली में आतंकी हमले में वो दोषी पाए गए थे.
लंदन में रह रहे तारिक रहमान पर आरोप है कि वो पार्टी में भारत विरोधी भावना भड़काने में अहम भूमिका निभा रहे हैं और चाहते हैं कि बांग्लादेश भी मालदीव के कदम पर चले. तारिक रहमान के नेतृत्व में बीएनपी सोशल मीडिया के जरिए इंडिया आउट कैंपेन को जोर-शोर से चला रही है.
ढाका के एक अखबार ने तारिक रहमान के ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को लेकर लिखा है, ‘लंदन में रहकर, एक दोषी करार दिया गया आतंकवादी और बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने बीएनपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मालदीव की तरह बांग्लादेश में भारत विरोधी आंदोलन शुरू करने और देश में हिंदू विरोधी भावना को भड़काने का निर्देश दिया है. पार्टी की साइबर विंग के लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए हिंदुओं और भारत को लेकर नफरत फैलानी शुरू कर दी है.’
भारत के लिए क्यों अहम है बांग्लादेश और वहां चीन के प्रभाव को रोकना?
भारत चीन, पाकिस्तान और मालदीव जैसे पड़ोसियों से घिरा हुआ है जिनके साथ रिश्ते तनावपूर्व स्थिति में है. लेकिन भारत का अपने करीबी पड़ोसी बांग्लादेश के साथ मजबूत रिश्ता है जो भारत के लिए राहत की खबर है. दोनों देश जल संसाधन, रेल, तकनीक, अंतरिक्ष, विज्ञान जैसे कई क्षेत्रों में अहम सहयोगी हैं.
बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने भले ही चीन के साथ विकास को लेकर सैकड़ों समझौते किए हैं लेकिन अभी तक उन्होंने चीन को अपनी विदेश नीति में हस्तक्षेप नहीं करने दिया है.शेख हसीना सरकार ने बांग्लादेश की जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों पर भी लगाम लगाने में अहम भूमिका निभाई है. शेख हसीना सरकार ने भारत के खिलाफ अलगाववादी आंदोलन के कई नेताओं, जिसमें उल्फा नेता अरविंद राजखोवा शामिल है, उन्हें भारत को सौंपा है.
ऐसे में अगर बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना बढ़ती है और चीन अपने मंसूबे में किसी तरह कामयाब होता है तो यह भारत के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है. बांग्लादेश की तरफ से भारत को आतंकवाद का खतरा तो बढ़ेगा ही, साथ ही चीन-बांग्लादेश से लगे भारतीय राज्यों की जासूसी के लिए भी वहां बड़ा इंफ्रास्ट्रक्टर खड़ा कर सकता है जैसा कि वो श्रीलंका में करता रहा है. इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत का बांग्लादेश के साथ होना बेहद अहम है.
पड़ोसियों को भारत के खिलाफ कर रहा चीन
चीन भारत के मित्र देशों को लगातार भड़काता रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और विकास का लालच देकर चीन भारत के आर्थिक रूप से कमजोर पड़ोसियों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने में माहिर है. श्रीलंका इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) पर आरोप लगते हैं कि इसके जरिए चीन कमजोर देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाकर उनके संसाधनों का दोहन करता है. हालांकि, चीन इससे इनकार करता रहा है.
बांग्लादेश में भी चीन ने BRI के तहत भारी निवेश किया है और एयरपोर्ट से लेकर पानी के अंदर सुरंग तक…हर क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम करता जा रहा है. अमेरिका स्थित थिंक टैंक अमेरिकन इंटरप्राइसेज इंस्टिट्यूट (AEI) के मुताबिक, बांग्लादेश में चीन का कुल निवेश 7.77 अरब डॉलर का है. इसी के साथ ही चीनी कंपनियों को बांग्लादेश में 22.94 अरब डॉलर के निर्माण कार्यों का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला है. चीन विकास के नाम पर बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है ताकि वो भारत के एक अहम पड़ोसी को अपने पक्ष में कर ले. इसी बीच बांग्लादेश के विपक्ष का ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चलाना भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है.