भारत न पार करे रेड लाइन… खालिस्‍तानी पन्‍नू पर बोला अमेरिका, सीएए और केजरीवाल विवाद, रसातल में जा रहे रिश्‍ते?

वॉशिंगटन:

खालिस्‍तानी आतंकी पन्‍नू, सीएए और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍तों में तनातनी बढ़ती जा रही है। अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने सीएए पर ज्ञान देने के बाद अब भारत को गुरपतवंत सिंह पन्‍नू मामले में गीदड़भभकी दी है। गार्सेटी ने भारत का नाम लिए बिना कहा कि दो देशों के बीच रिश्‍तों में कुछ ‘रेड लाइन’ होती है और किसी को भी इसे पार नहीं करना चाहिए। उनका इशारा पन्‍नू मामले की ओर था। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि भारत के एजेंट ने कथित रूप से अमेरिका की धरती पर पन्‍नू को मारने की साजिश रची थी। गार्सेटी ने यह भी कहा कि दोनों ही देश इस आरोप की संयुक्‍त रूप से जांच कर रहे हैं। इससे पहले अमेरिका ने अरविंद केजरीवाल मामले में भी भारत को नसीहत दी थी और कांग्रेस के फ्रीज हुए बैंक खातों का मुद्दा उठाया था। इस तनातनी के बीच भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍ते किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, आइए समझते हैं….

विश्‍लेषकों का कहना है कि दुनियाभर में यह कहा जाता है कि दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍ते दोनों के लिए ही बहुत अहम हैं। पिछले 20 साल में दोनों ही देश काफी करीब आए हैं और हथियार से लेकर वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ा है। चीन पर नकेल कसने में भी भारत और अमेरिका दोनों ही साथ-साथ हैं। इन सबके बीच पन्‍नू, सीएए और अरविंद केजरीवाल मामले में अमेरिका के बयानों ने भारत के साथ रिश्‍तों में तनाव ला दिया है। भारत ने अमेरिका के बयानों का जोरदार तरीके से विरोध किया है और अमेरिकी राजनयिक को तलब करके उन्‍हें करारा जवाब दिया है। विश्‍लेषकों का कहना है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में कई चुनौत‍ियां आ सकती हैं।

विश्‍लेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अमेरिका के बयान खराब होते रिश्‍तों का ताजा उदाहरण है। भारत ने अमेरिकी राजनयिक को तलब किया लेकिन इसका भी उस पर कोई असर नहीं हुआ है और खुद अमेरिकी राजदूत गार्सेटी ही विवादित बयान देने लगे हैं। एरिक गार्सेटी को बाइडन का करीबी माना जाता है। कुछ अन्‍य विश्‍लेषकों का कहा कि यह दोनों देशों में होने वाले चुनाव का असर हो सकता है ताकि अपनी जनता को खुश किया जा सके और इसका दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में कोई असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका ने भारत में मानवाधिकार और धार्मिक स्‍वतंत्रता का मुद्दा उठाया है। यही नहीं बाइडन ने भारत के गणतंत्र दिवस पर आने के न्‍योते से किनारा कर लिया।

अमेरिका और भारत के बीच बढ़ रहा तनाव
भारत ने हाल के दिनों में अमेरिका से बड़े पैमाने पर हथियारों की डील की है। अभी लड़ाकू ड्रोन खरीदने पर बातचीत चल रही है। इन सबके हरदीप सिंह निज्‍जर हत्‍या मामले ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया। कनाडा ने निज्‍जर की हत्‍या को लेकर भारत पर आरोप लगाया था। अमेरिका सरकार ने नवंबर 2023 में जानबूझकर निज्‍जर मामले में सूचना को लीक कर दिया ताकि भारत पर दबाव बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, व्यापार विवादों ने भी भारत और अमेरिका के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाया है। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की है और द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट आई है। इनके अलावा दोनों देशों के बीच अविश्वास की भावना बनी हुई है, भारत अमेरिका को कभी-कभी अविश्वसनीय मानता है, जबकि अमेरिका भारत की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।

विश्‍लेषकों का कहना है कि भारत और अमेरिका संबंधों को बेहतर बनाने के लिए तनाव के मूल कारणों को दूर करना अनिवार्य है। अमेरिका को भारत के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। वहीं भारत को अपनी व्यापार नीतियों के बारे में पारदर्शिता बढ़ानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि भारत-अमेरिका संबंधों का प्रभाव दोनों देशों से परे है। यह व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक गतिशीलता को प्रभावित करता है। भारत और अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंधों का चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों पर असर पड़ता है। चीन पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भारत और अमेरिका की दोस्‍ती की ओर देख रही है। भारत और अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्‍तों का फायदा चीन को हो सकता है।

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