पटना:
बिहार शिक्षा विभाग ने एक अप्रैल से राज्यभर के अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी है। बेरोजगार हुए अतिथि शिक्षकों ने सोमवार को सीएम आवास के बाहर धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। दूसरी ओर शिक्षकों का कहना है कि पहले तो नौकरी ले ली और अब लाठी से पिटवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह घटना बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। बता दें कि अतिथि शिक्षक पिछले कई वर्षों से अपनी सेवाओं के स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया और उनकी सेवाओं को समाप्त कर दिया।
नियमित शिक्षक आ गए हैं तो अब इनकी जरूत नहीं
दरअसल, बिहार के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते शिक्षा विभाग ने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की थी। पिछले छह साल से ये शिक्षक स्कूलों में नियमित पढ़ा भी रहे थे। अब सरकार ने इनकी सेवा समाप्त करने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग की ओर से इस बाबत एक पत्र सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भेजा गया है। पत्र शिक्षा विभाग के निदेशक कन्हैया प्रसाद की ओर से जारी किया गया है। निदेशक ने अपने पत्र में लिखा है कि शिक्षा विभाग ने 25 जनवरी 2018 को निर्देश दिया था कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां अतिथि शिक्षकों से काम लिया जाए। निर्देश के आलोक में स्कूलों में 4257 अतिथि शिक्षको की नियुक्ति की गई।
शिक्षा विभाग के निदेशक कन्हैया प्रसाद की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में कक्षा नौवीं-10वीं के लिए 37 हजार 847, कक्षा 11वीं-12वीं के लए 56 हजार 891 और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 94 हजार 738 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है। वे अब स्कूलों में पदस्थापित भी हो चुके हैं। इसलिए अब अतिथि शिक्षकों की सेवा जारी रखने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए ऐसे शिक्षकों को स्कूलों से हटा दिया जाए और इसका प्रामाणपत्र विभाग को भेजा जाए कि उनके जिले में अब कोई अतिथि शिक्षक नहीं।
एक अप्रैल से अतिथि शिक्षकों को हटाने का निर्देश
शिक्षा विभाग के निदेशक के पत्र में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि एक अप्रैल 2024 से इसका अनुपालन सुनिश्चित करें। सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी विभाग को यह प्रमाणपत्र दें कि उनके जिले के किसी स्कूल में अब कोई भी अतिथि शिक्षक काम नहीं कर रहा है। इस आशय का प्रमाणपत्र भेजने की अंतिम तिथि तीन अप्रैल 2024 तय की गई है। इसका सीधा अर्थ यही हुआ कि अतिथि शिक्षक किसी भी हाल में पहली अप्रैल से सेवा में नहीं रहेंगे। अतिथि शिक्षक इसे अपना अपमान मान रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले छह साल से लगातार वे स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसका सुफल उन्हें यही मिला कि रोजगार ही विभाग ने छीन लिया।