नई दिल्ली,
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और ज्यूडिशियल कस्टडी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. केजरीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और खुद की रिहाई की मांग की है. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रख दिया है. अब लंच के बाद ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू कोर्ट में दलीलें देंगे. संभव है कि शाम तक यह साफ हो जाएगा कि केजरीवाल 15 अप्रैल तक तिहाड़ जेल में रहेंगे या हाईकोर्ट के आदेश पर बाहर निकल आएंगे?
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच सुनवाई कर रही है. केजरीवाल के वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि आम चुनाव आ गए हैं. इसलिए ऐसे समय में केजरीवाल की गिरफ्तारी की गई है, ताकि वो चुनावी अभियान का हिस्सा ना बन सकें. ना प्रचार कर सकें. उन्होंने कहा, कोर्ट को यह देखना होगा कि चुनाव में सभी पार्टियों को बराबर का मौका मिले. नवंबर में पहला समन दिया गया और मार्च में गिरफ्तार कर लिया गया. PMLA के तहत गिफ्तारी के लायक ईडी के पास कोई सबूत नहीं है.
ईडी ने केजरीवाल की ओर से बहस कर रहे दो वकीलों की दलीलों पर आपत्ति जताई है. अब लंच के बाद एएसजी बहस करेंगे. एएसजी का कहना है कि सिर्फ इसलिए कि आप प्रभावशाली हैं और इसलिए 3 वकीलों को बहस में शामिल कर सकते हैं, आप ऐसा नहीं कर सकते हैं. कोई भी आम आदमी एक से ज्यादा वकील का हकदार नहीं है. यह अपवाद क्यों? आप पावरफुल हो सकते हैं. आप आम आदमी होने का दावा कर सकते हैं, लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते.
केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में क्या-क्या कहा…
केजरीवाल के वकील का कहना था कि AAP संयोजक को अपनी पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार करने से रोकने की साजिश की जा रही है. केजरीवाल के वकील ने आठ पॉइंट उठाए हैं और तर्क दिया है कि केजरीवाल को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखने के लिए साजिश रची गई है. ईडी ने गिरफ्तारी से पहले पीएमएलए कानून के तहत सेक्शन 50 की शर्तों को पूरा नहीं किया. ईडी अब तक ना मनी ट्रेल साबित कर पाई है, ना कोई सबूत जुटा पाई है. सिर्फ सरकारी गवाहों के बयानों के आधार पर गिरफ्तार किया है. हालांकि, गिरफ्तारी के लिए सरकारी गवाहों के बयान मायने नहीं रखते हैं. सिंघवी ने कहा कि जो समन दिए गए थे, वे गैरकानूनी थे. इन समन को पहले ही चैलेंज किया था. अब गिरफ्तारी को भी चुनौती दे रहे हैं.
सिंघवी: मैं कुछ कानूनी पहलुओं को उठाना चाहूंगा. लेवल प्लेइंग फील्ड सिर्फ एक मुहावरा नहीं है. निष्पक्ष चुनाव का हिस्सा है. लोकतंत्र का हिस्सा और उसके आधारभूत ढांचे से जुड़ा हुआ है. चुनाव में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है और पार्टी को तोड़ने की कोशिश हो रही है. इस मामले में समय का मुद्दा बहुत गंभीर है. समय का मुद्दा यह सुनिश्चित करता है कि याचिकाकर्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएगा और उसकी पार्टी खत्म हो जाएगी.
सिंघवी: आप स्पष्ट रूप से बिना किसी पूछताछ, बयान आदि के गिरफ्तारी कर रहे हैं. यह अनोखी बात है. इस केस में चुनाव से पहले गिफ्तारी करके पार्टी को खत्म करने की कोशिश की गई. गिफ्तारी की टाइमिंग ही ईडी की मंशा पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है. ईडी का पहला समन अक्टूबर में जारी किया गया था. गिफ्तारी मार्च में जाकर होती है. टाइमिंग देखिए. सीबीआई और ईडी के मामले अगस्त 2022 के हैं. पीएमएलए के तहत गिफ्तारी के लायक ईडी के पास कोई सबूत नहीं है. ईडी ने बिना कोई बयान दर्ज किए इस केस में गिफ्तारी की है. PMLA के सेक्शन 15 और 19 में दिए गए प्रवधानों पर यह गिफ्तारी खरी नही उतरती है.
सिंघवी: पहले समन और गिफ्तारी के बीच केजरीवाल का बयान दर्ज नहीं किया गया. आखिर इस मामले में जल्दबाजी की जरूरत क्या है. पहले और आखिरी समान में इतना गैप था. अगर एक संवैधानिक संशोधन संविधान के मूल ढांचे से छेड़छाड़ करता है तो उसे खत्म कर दिया जाता है. सेक्शन 19 के तहत ना गिरफ्तारी का आधार है. ना सबूत मौजूद है. न आप केजरीवाल को दोषी मानकर चल रहे. कुल मिलाकर गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है.
सिंघवी: गिरफ्तार करते वक्त केजरीवाल के घर पर कोई बयान लेने की कोशिश नहीं हुई. जबकि ऐसा ED को गिरफ्तार करने से पहले करना चाहिए था. गिरफ्तार करते वक्त केजरीवाल के घर पर कोई बयान लेने की कोशिश नहीं हुई. जबकि ऐसा ED को गिरफ्तार करने से पहले करना चाहिए था. ईडी का यह कहना कि मैने समन का पालन नहीं किया. यह एक गुमराह करने वाला बयान है.
सिंघवी: PMLA के तहत जमानत आसानी से नहीं मिल पाती है, इसलिए सेक्शन 19 के तहत जो गिरफ्तारी दिखाई गई है, वो भी सख्त है.इसलिए ईडी ने जो गिरफ्तारी की है, वो भी खरी नहीं उतरती है. ईडी यह साबित नहीं कर पाई कि आखिर केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों की गई? गिरफ्तारी का एकमात्र उद्देश्य मुझे अपमानित करना है. गिरफ्तारी का असली उद्देश्य मुझे अक्षम बनाना है. क्या केजरीवाल के भागने की आशंका थी? क्या उन्होंने डेढ़ साल में किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की. क्या उन्होंने पूछताछ से इंकार किया? मैंने ईडी के हर समन का विस्तार से जवाब दिया है.
सिंघवी: केस दर्ज होने के 2 साल बाद केजरीवाल की भूमिका की जांच के लिए ईडी को कस्टडी चाहिए. यह गिफ्तारी का आधार कैसे हो सकता है? प्रवर्तन निदेशालय की ये दलीलें बेमानी हैं कि चूंकि निचली अदालत में केजरीवाल ने रिमांड पर भेजे जाने का विरोध नहीं किया, इसलिए अब इस केस में गिरफ्तारी/रिमांड को चुनौती देने वाली उनकी याचिका निष्प्रभावी हो गई है. ED की ये दलील तो कानून की समझ से भी परे है. ईडी की अप्लीकेशन में ही कहा गया है कि हमें एफआईआर के सवा साल बाद और पहले समन के छह महीने बाद केजरीवाल की भूमिका का पता लगाना है. ये आज उनकी गिरफ्तारी का आधार कैसे हो गया.
सिंघवी: राघव मगुंटा ने जब मेरे खिलाफ बयान दिया, उसके 10 दिन बाद ही उसे जमानत मिल जाती है. यह आपराधिक कानून का सरासर मजाक है. ईडी केजरीवाल के खिलाफ प्रोसीड ऑफ क्राइम का पता नहीं लगा पाई. जिन पैसे की बात ईडी कर रही है वो धन कहां गया? किसे मिला? ईडी वो भी नहीं पता कर पा रही है. अब सवाल यह है कि क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी की मंशा कुछ और थी. ईडी ने पीएमएलए की धारा 70 के तहत गिरफ्तारी की. ये उचित नहीं. क्योंकि यह इस मामले में बिल्कुल भी नहीं हो सकता. यह धारा तो कंपनियों के लिए है. जबकि आम आदमी पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पंजीकृत पार्टी है तो पीएमएलए में एक अलग कानून को शामिल नहीं किया जा सकता है.
एक दिन पहले ईडी ने दिया था जवाब
बता दें कि एक दिन पहले ही ईडी ने हाईकोर्ट में केजरीवाल की याचिका का विरोध किया था. ईडी ने केजरीवाल को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है. ईडी ने HC को बताया कि केजरीवाल ने हवाला लेनदेन को खुद नहीं संभाला. इस घोटाले में सबसे महत्वपूर्ण सबूत जो उनकी भूमिका को दर्शाता है, वो है साजिश के बारे में केजरीवाल को जानकारी होना. ED ने जवाब में कहा है कि अरविंद केजरीवाल कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए आबकारी नीति 2021-22 तैयार करने की साजिश में शामिल थे और उस पॉलिसी में लाभ देने के बदले शराब व्यवसायियों से रिश्वत मांगने में भी शामिल थे.
‘केजरीवाल की सेहत बिल्कुल ठीक’
इधर, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर गंभीर आरोप लगाए हैं. आतिशी का दावा है कि जब से केजरीवाल गिरफ्तार हुए हैं, उनका वजन साढे़ चार किलो कम हो चुका है. आतिशी ने कहा कि केजरीवाल डायबटीज के गंभीर मरीज हैं. जेल में उन्हें रखना उनकी सेहत को खतरे में डालना है. लेकिन तिहाड़ जेल के सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल की सेहत बिल्कुल ठीक है. उनका वजन 65 किलो पर बना हुआ है. उनका शुगल लेवल भी नॉर्मल है. खबर है कि जल्द ही तिहाड़ प्रशासन केजरीवाल की सेहत पर बयान जारी कर सकता है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ED को 2 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा था. दिल्ली HC आज मामले में सुनवाई करेगा. केजरीवाल ने मामले में अंतरिम राहत भी मांगी है. ईडी ने हलफनामे के जरिए अपना जवाब दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि केजरीवाल एक्साइज पॉलिसी स्कैम में किंग पिन और मुख्य साजिशकर्ता हैं. ईडी ने आगे कहा कि केजरीवाल को अपनी हिरासत पर सवाल उठाने का अपना अधिकार तब याद आया, जब ED ने कोर्ट से उनकी हिरासत नहीं मांगी. ऐसे में केजरीवाल अब यह दावा नहीं कर सकते कि उनकी हिरासत अवैध है. ईडी का कहना है कि हिरासत पर ट्रायल कोर्ट के आदेश उचित हैं. साथ ही पीएमएलए के तहत हमने सभी जरूरी प्रक्रियाओं का अनुपालन किया है.
ईडी ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान पीएमएलए की सभी प्रक्रिया और आवश्यक शर्तों का अनुपालन किया गया है. छापे के दौरान कब्जे में मौजूद सामग्री के आधार पर ईडी के पास यह मानने का समुचित कारण है कि केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में दोषी हैं. ईडी ने ये भी कहा है कि केजरीवाल सीधे तौर पर इस घोटाले में सामने नहीं आ रहे हैं. लेकिन उनका अपराध ये है कि उनको इस अपराध के बारे में पूरी जानकारी थी. यानी केजरीवाल आबकारी नीति घोटाले के किंगपिन और मुख्य साजिशकर्ता हैं.
‘शराब नीति बनाने में शामिल थे केजरीवाल’
ED के मुताबिक अरविंद केजरीवाल ने इन पैसों का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी के लिए गोवा चुनाव अभियान में किया. साथ ही जांच एजेंसी ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि अरविंद केजरीवाल सीधे तौर पर उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण में शामिल थे.
‘साउथ ग्रुप को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार हुई शराब नीति’
वहीं ED ने अपनी ओर से दाखिल जवाब में यह भी कहा है कि साउथ ग्रुप को दिए जाने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए इस शराब नीति का मसौदा तैयार किया था और इसका गठन विजय नायर, मनीष सिसोदिया और साउथ ग्रुप के सदस्य प्रतिनिधियों की मिलीभगत से किया गया था. अरविंद केजरीवाल ने उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में लाभ देने के बदले में साउथ ग्रुप से रिश्वत की मांग की थी.
‘केजरीवाल के लिए दलाली करते थे विजय नायर’
ED की ओर से कहा गया है कि विजय नायर अरविंद केजरीवाल के बहुत करीबी सहयोगी हैं. विजय नायर की दिल्ली उत्पाद शुल्क विभाग या दिल्ली सरकार में कोई भूमिका नहीं थी. वे तो रिश्वत लेने के लिए AAP के शीर्ष नेताओं (विशेष रूप से अरविंद केजरीवाल) की ओर से दलाली का काम करते थे. आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को एक अदालत ने सोमवार को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. केजरीवाल को उनकी ईडी की हिरासत अवधि पूरी होने के बाद विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत में पेश किया गया था. इस दौरान ED ने अदालत से केजरीवाल को 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने पूछताछ के दौरान ‘बिल्कुल सहयोग’ नहीं किया.