नगीना,
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने यूपी की नगीना सीट पर ताल ठोककर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. चंद्रशेखर आजाद ने खास बातचीत में कहा कि वह मायावती के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. उन्होंने कहा कि आप देखिए कि कैसे बहनजी ने बाहर के उम्मीदवार सुरेंद्र मैनवाल को यहां उतारा है. ये काम उन्होंने मेरे लिए ही किया है और यह परिवार का कोई सदस्य ही समझ सकता है कि वह कैसे मेरी मदद कर रही हैं. वह भी यही चाहती हैं कि मेरे समाज का नेता मेरे बाद निकलना चाहिए, इसलिए उन्होंने मेरी मदद का यह तरीका चुना है. यह इशारा कोई परिवार का सदस्य ही समझ सकता है.
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि आकाश आनंद यहां आ रहे हैं, अपने उम्मीदवार के लिए वह रैली करेंगे, लेकिन वह मेरे छोटे भाई हैं. उन्हें भी मालूम है कि उनका उम्मीदवार मैं ही हूं, पार्टी के लिए उन्हें रैली करना है. इसलिए औपचारिकता में कुछ बोलना भी होगा, लेकिन मेरी जनता को मालूम है कि वह रैली में कुछ भी बोलें, लेकिन सभी चाहते हैं कि मैं ही यहां से जीत का परचम फहराऊं.
भीम आर्मी प्रमुख ने कहा कि यहां 70 फ़ीसदी Vs 30 फ़ीसदी की लड़ाई है. मैं 70 फ़ीसदी का प्रतिनिधित्व करता हूं, बाकी 30 फ़ीसदी में शेष सभी दल हैं. चंद्रशेखर ने कहा कि अखिलेश यादव और कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी से भी उन्होंने समर्थन मांगा था, मैंने सिर्फ इतना कहा था कि आप एक सीट पर मुझे समर्थन करें, मैं आपकी तमाम सीटों पर मदद करूंगा, लेकिन पता नहीं लोगों ने इसका क्या अर्थ समझा और सभी ने अपने उम्मीदवार मेरे खिलाफ उतार दिए. अब मेरी पार्टी मेरा रोल तय करेगी कि मैं उन्हें मदद करूं या ना करूं.
अखिलेश यादव मेरे भाई हैं, मुझे लगता है कि ऐसे उम्मीदवार को उतारकर उन्होंने मेरा समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर आजाद अगर जीता है, तो अकेले संसद में दलित और पिछड़ों के मुद्दे को उठाएगा. अकेला उनकी आवाज बनेगा और उनके समाज, उनकी आवाज में आवाज मिलाएगा.
जयंत चौधरी को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि कुछ तो मजबूरियां रही होंगी… बीजेपी के साथ जाने को लेकर जयंत ही बेहतर बता सकते हैं. इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता. उन्होंने गलती की या नहीं की यह मैं नहीं कह सकता.
बता दें कि नगीना सीट पश्चिम यूपी के बिजनौर जिले में आती है. यहां से सपा ने पूर्व जज मनोज कुमार, बसपा ने सुरेंद्र मैनवाल और बीजेपी ने ओम कुमार को चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में चंद्रशेखर ने यहां से नामांकन भरकर चुनावी मुकाबले को रोचक बना दिया है. यहां दलितों और मुसलमानों का वोट क़रीब 70 फ़ीसदी है. अगर किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में ये वोट एकमुश्त चला जाए तो उसकी जीत तय है.