नई दिल्ली
कांग्रेस ने बुधवार को देश के सैनिक स्कूलों पर मंडराते राजनीतिकरण के खतरे की आशंका जताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लेटर लिखा, जिसमें पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी नीत केंद्र सरकार देश के सैनिक स्कूलों में एक राजनीतिक विचारधारा लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की ओर से यह लेटर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा, जिसमें उन्होंने एक आरटीआई से मिली जानकारी के हवाले से कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा सैनिक स्कूलों में पीपीपी मॉडल के लागू किए जाने के बाद जो निजीकरण हो रहा है, उसमें लगभग 62 फीसदी स्कूलों का स्वामित्व बीजेपी व संघ से जुड़े लोगों के पास है। वहीं कांग्रेस ने राष्ट्रपति से मांग की कि राष्ट्रीय हित में कांग्रेस इस निजीकरण नीति को पूरी तरह से वापस लेने और इन एमओयू को रद्द करने की मांग करती है, ताकि सैनिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे राष्ट्र की सेवा के लिए जूरी चरित्र, दृष्टि और सम्मान बरकरार रख सकें। खरगे ने आजाद के बाद देश में सैनिक स्कूलों शुरू किए जाने की सोच को रेखांकित करते हुए कहा कि ये स्कूल भारत के पहले प्रधानमंत्री पं नेहरू द्वारा 1961 में स्थापित किए गए थे। तभी से ये स्कूल सैन्य नेतृत्व और उत्कृष्टता के प्रतीक रहे हैं।
खरगे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2021 में केंद्र सरकार ने बेशर्मी से सैनिक स्कूलों के निजीकरण की पहल की। देश के 100 नए सैनिक स्कूलों में से 40 के लिए करार किया गया। एमओयू होने वाले 40 स्कूलों में से उनमें से 62 फीसदी स्कूलों से जुडा करार बीजेपी-संघ परिवार से संबंधित लोगों और संगठनों के साथ हुआ। कांग्रेस ने दावा किया कि एमओयू करने वाले लोगों में एक मुख्यमंत्री का परिवार, कई विधायक, बीजेपी पार्टी के पदाधिकारी और संघ के नेता शामिल हैं।
बीजेपी पर भड़के खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि आजादी के बाद से ही अपने यहां सशस्त्र बलों को किसी भी पक्षपातपूर्ण राजनीति से दूर रखा गया है। अतीत में जितनी भी सरकारें हुईं, उन सभी ने सशस्त्र बलों और उसके सहयोगी संस्थानों को विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं की छाया से दूर रखा। खरगे का कहना था कि ऐसा सोचसमझ कर किया गया और इस कवायद के पीछे जो सोच थी, उसमें यह दूरी सर्वोच्च लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों पर आधारित सोच के आधार पर बनाई गई थी। खरगे का कहना था कि किसी भी राजनीतिक दल ने कभी ऐसा नहीं किया, क्योंकि हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और साहस को दलगत राजनीति से दूर रखने के लिए आम राष्ट्रीय सहमति है।
‘मौजूदा केंद्र सरकार ने देश में स्थापित परंपरा को तोड़ने का काम किया’
कांग्रेस ने सैनिक स्कूलों के निजीकरण को स्वतंत्र सैनिक स्कूलों का राजनीतिकरण करने वाला कदम करार देते हुए कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने देश में स्थापित परंपरा को तोड़ने का काम किया है। खरगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी नीत सरकार ने अपनी विचारधारा को जल्दबाजी में थोपने की संघ की महती योजना में एक के बाद एक संस्थाओं को कमजोर करते हुए, सशस्त्र बलों की प्रकृति और लोकाचार पर गहरा प्रहार किया है। कांग्रेस का कहना था कि ऐसे संस्थानों में एक विचारधारा से प्रेरित ज्ञान व जानकारी देने का कदम न सिर्फ अपने यहां की समावेशिता को नष्ट करेगा, बल्कि पक्षपातपूर्ण धार्मिक/कॉर्पोरेट/पारिवारिक/सामाजिक/सांस्कृतिक सिद्धांतों के जरिए से उनके चरित्र को प्रभावित करके सैनिक स्कूलों के राष्ट्रीय चरित्र को भी नुकसान पहुंचाएगा।