नई दिल्ली,
यूक्रेन में जंग के दौरान रूस ने जर्मन टैंक और अमेरिकी बख्तरबंद गाड़ियों पर कब्जा किया. इसके बाद रूस ने नए एंटी-टैंक हथियार बनाए. असल में गोले. ताकि इन टैंकों और गाड़ियों पर प्रैक्टिस कर सके. रूस की यह तैयारी देख कर दुनिया के रक्षा एक्सपर्ट्स को यह लग रहा है कि शायद रूस NATO से लोहा लेने को तैयार है.
रूसी हथियार कंपनी रोजटेक ने नए टैंक के गोले बनाए हैं. ये गोले जर्मनी के लेपर्ड टैंक और अमेरिका के ब्रैडली इन्फैन्ट्री फाइटिंग व्हीकल पर दागे गए. ताकि यह देखा जा सके कि गोले कारगर हैं या नहीं. साथ ही जर्मनी और अमेरिका की टेक्नोलॉजी का पता किया जा सके. ये टैंक और गाड़ियां जर्मनी और अमेरिका ने यूक्रेन को दिए थे.
रोजटेक के इंडस्ट्रियल डायरेक्टर बेखन ओजडोव ने कहा कि हम पारंपरिक हथियारों के बजाय नए हथियार विकसित करने में लगे हैं. इसलिए हमने अपने टैंक्स के लिए नए गोले बनाए हैं, जो पश्चिमी देशों के टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और अन्य सैन्य गाड़ियों को बर्बाद कर सकें. इन गोलों के परीक्षण में हम पूरी तरह से सफल रहे हैं.
रोजटेक कंपनी बना रही है नए टैंक और उनके कवच
इसके अलावा रोजटेक नए टैंक भी बनाने जा रहा है. जो नाटो में शामिल देशों के हथियारों का सामना कर सकें. अगर ऐसा नहीं होता है तो पुराने टैंकों को नए कवच से लैस करेंगे, ताकि उनपर विदेशी हथियारों का असर न हो. या बेहद कम हो. रोजेटक के बने गोलों ने यूक्रेन को मिले अमेरिकी अबराम टैंक्स को पहले भी बर्बाद किया था.
एक अमेरिकी अबराम टैंक को रूस के T-72B3 टैंक के एक गोले ने ही खत्म कर दिया था. रोजटेक ने कहा कि पश्चिमी टैंक और सैन्य वाहन टिन के डिब्बे हैं. हालांकि अभी तक रूसी सेना ने एक भी अबराम टैंक अपने कब्जे में नहीं लिया है. रूस रिवर्स इंजीनियरिंग करके अपने सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है.
अब तक पकड़े गए 131 टैंक, 123 इन्फैन्ट्री व्हीकल
इस साल फरवरी में रूस ने यूक्रेन के M2A2 Bradley IFV को पकड़ा था. इसके बाद इसे ट्रेन से मॉस्को भेजा गया. पहले यह योजना थी कि इसे मॉस्को के म्यूजियम में रखा जाएगा. लेकिन बाद में पता चला कि इसके हल को नए गोलों की टेस्टिंग के लिए कहीं और भेजा गया. जहां पर 30 मिलिमीटर के गोलों का परीक्षण किया गया.
यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में रूस ने अब तक 131 टैंकों, 82 बख्तरबंद लड़ाकू गाड़ियों, 123 इन्फैन्ट्री फाइटिंग व्हीकल और 98 बख्तरबंद पर्सनल कैरियर को अपने कब्जे में लिया है. इन सबकी स्टडी करके रूस नए हथियार बना रहा है, ताकि इन जैसे सैन्य वाहनों को वो अपने एक गोले से बर्बाद कर सके.
दुश्मन की डिफेंस टेक्नोलॉजी समझने में लगता है समय
हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि दुश्मन की डिफेंस टेक्नोलॉजी को समझने और उसका काउंटर बनाने में कई साल लग जाते हैं. इसलिए रूसी सेना को नए गोले या हथियार मिलने में अभी समय लगेगा. लेकिन रूस कंट्रोल्ड डेटोनेशन शेल यानी ऐसे गोले बना रहा है, जो दूर से नियंत्रित करके फोड़े जा सकें.
30 मिलिमीटर के गोले इसी तरह के हैं. इसे रिमोट से फ्यूज किया जाता है. इस दौरान यह इसका मार्ग, टारगेट आदि सब तय किया जाता है. इस गोले ने दुश्मन टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को छेद डाला. इसे हमने BMPT Terminator सैन्य वाहन में तैनात किया है. यह एक टैंक सपोर्ट कॉम्बैट व्हीकल है.