नई दिल्ली ,
दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है. साथ ही साइट पर बायो डायवर्सिटी पार्क के डवलपमेंट पर DDA से रिपोर्ट मांगी है और कहा कि तटों का विकास जरूरी है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मलबे को हटाकर नदी के पुनरुद्धार के निर्देश दिए और दिल्ली विकास प्राधिकरण से अपने वैज्ञानिक ड्रेजिंग के मुद्दे को युद्ध स्तर पर उठाने के लिए कहा.
कोर्ट ने डीडीए को नदी के किनारों और मनोरंजक क्षेत्रों के विकास का पता लगाने और क्षेत्र के रखरखाव के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने ये भी कहा कि भक्तों के लिए समर्पित घाट बनाए जाने चाहिए. बेंच ने एक आदेश में कहा कि यमुना के किनारों को आर्द्रभूमि और सार्वजनिक स्थानों, खुले हरे स्थानों के लिए पार्क, नागरिक सुविधाओं तक पहुंच, मनोरंजन क्षेत्र, बच्चों के लिए खेल के मैदानों के रूप में विकसित करना जरूरी है. इससे आम लोगों को खरीदारी में बढ़ावा मिलेगा.
कोर्ट ने डीडीए को सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय, यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया. इसके अलावा डीडीए यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में 10 बायो डायवर्सिटी पार्क के विकास पर एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. इसमें लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समयसीमा के साथ एक कार्य योजना भी शामिल है.
कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में धार्मिक श्रद्धालु विभिन्न स्थानों पर प्रार्थना करते हैं और नदी के पानी में ठोस कचरा बहाते हैं, जिससे पहले से ही गंभीर समस्या और बढ़ जाती है. कोर्ट ने डीडीए को श्रद्धालुओं के लिए घाट या स्टिल्ट्स पर प्लेटफार्म बनाने के लिए कहा. बेंच ने कहा कि हाल ही में यमुना नदी में आई बाढ़ से पता चला है कि दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा अब नाव चलाने के योग्य नहीं है, हर मानसून में ओवरफ्लो हो जाता है, क्योंकि नदी का तल ऊंचा हो गया है और नदी उथली हो गई है.