नई दिल्ली:
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और उत्तराखंड सरकार के दवा लाइसेंसिंग प्राधिकरण को जमकर फटकार लगाई। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने दोनों की माफी को अस्वीकार करते हुए कहा कि जनता को संदेश जाना चाहिए कि कोर्ट के वचन का महत्व होता है कोई इसका उल्लंघन नहीं कर सकता है।
‘कृपया हमें बख्श दीजिए…’
सुनवाई के बीच में ही उत्तराखंड के खाद्य और औषधि प्रशासन के संयुक्त निदेशक डॉ. मिथलेश ने कोर्ट से हाथ जोड़कर माफी मांगी। मिथलेश ने कहा कि कृपया मुझे बख्श दीजिए मैं जून 2023 में इस पद पर आया हूं ये मेरे आने से पहले हुआ था। बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में अब 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा। उत्तराखंड के खाद्य और औषधि प्रशासन के संयुक्त निदेशक डॉ. मिथलेश की बख्शने की बात सुनकर कोर्ट ने कहा कि हमें ऐसा क्यों करना चाहिए ? आपकी ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई? आपने क्या कार्रवाई की? आप कोर्ट से दया चाहते हैं लेकिन उन निर्दोष का क्या जिन्होंने कोविड टाइम में ये दवाएं लीं ?
कोर्ट ने हलफनामा नहीं किया स्वीकार
सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण की ओर से दायर माफी के हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने ऐसा तब किया जब गलती पकड़ ली गई है। आरोपितों को अंडरटेकिंग के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई का सामना करना होगा। सुनवाई के दौरान पतंजलि और उसकी सब्सिडियरी दिव्य फार्मा के खिलाफ लीगल एक्शन लेने में लापरवाही के मामले में उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी के प्रति कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने 2018 से अब तक राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी, हरिद्वार में तैनात रहे जॉइंट डायरेक्टरों से स्पष्टीकरण मांगा है।