बाड़मेर,
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान देश की कुछ सीटों पर सियासी जंग काफी रोचक है. इन सीटों में राजस्थान की बाड़मेर सीट भी शामिल है. इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने मौजूद सांसद और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को दूसरी बार मैदान में उतारा है.
कांग्रेस ने उम्मेदाराम बेनीवाल को टिकट दिया है तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने इस लोकसभा सीट पर चुनाव को रोचक बना दिया है. हाल ही में भाटी ने राजस्थान के विधानसभा चुनाव में शिव सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की है. बाड़मेर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रविंद्र सिंह भाटी से आज तक के सहयोगी लल्लनटॉप ने कई सवाल किए जिसका उन्होंने बखूबी जवाब दिया.
क्या दावेदारी वापस लेंगे भाटी?
रविंद्र सिंह भाटी से पूछा गया कि क्या उन्हें मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का फोन आया था. इस पर भाटी ने कहा कि उनके पास किसी का फोन नहीं आया था. भाटी से यह भी पूछा गया कि क्या कोई ऐसा शख्स है, जिसका फोन आने पर वह अपनी दावेदारी वापस ले सकते हैं. इस पर भाटी ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अपनी दावेदारी वापस नहीं लेंगे.
दांव पर लगा दिया सियासी करियर
रविंद्र भाटी से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में बीजेपी जॉइन करने के बारे में सोच रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में वह जनता के बीच रहकर काम कर रहे हैं. आगे के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. भविष्य के बारे में आगे सोचा जाएगा. भाटी ने दावा किया कि उन्होंने बाड़मेर की जनता की मांग पर अपना राजनीतिक करियर दांव पर लगा दिया है. ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं.
…तो विरोधी भी ले आएं भीड़
भाटी से पूछा गया कि उन पर बाहर से भीड़ लाने के आरोप लग रहे हैं. इस दावे को झूठा बताते हुए उन्होंने कहा,’अगर विरोधियों को लगता है कि बाहर से भीड़ लाकर चुनाव प्रचार किया जा सकता है तो वह भी बाहर से भीड़ ला सकते हैं. यह आरोप मुझ पर विधानसभा चुनाव के समय भी लगाए गए थे. लेकिन शिव की जनता ने इन आरोपों का जवाब देते हुए मुझे वियजी बनाया.
दूसरे शहरों में क्यों कर रहे प्रचार?
जब रविंद्र सिंह भाटी से पूछा गया कि चुनाव बाड़मेर में हो रहे हैं फिर वह दूसरे इलाकों में चुनाव प्रचार के लिए क्यों जा रहे हैं? इस सवाल के जवाब में भाटी ने कहा कि मारवाड़ी लोग देश के अलग-अलग कौने में व्यापार करते हैं. इसलिए बाहर रहने वाले लोगों का आशीर्वाद लेने के लिए वह अलग-अलग शहरों में जा रहे हैं.
शिमला,