भोपाल
मध्य प्रदेश में लोकतंत्र के महापर्व की 19 अप्रैल से शुरूआत हो गई है। इस प्रदेश में पहले चरण के मतदान हुए है। इस मतदान में प्रदेश की 29 में से 6 सीटों पर वोटिंग प्रक्रिया पूरी हुई है। एमपी में हुए पहले चरण की वोटिंग के दौरान बहुत घटनाएं हुई हैं। जिनमें बैतूल में विधायक का बेहोश होना, छिंदवाड़ा में झड़प होना तो मंडला में विकास कार्य नहीं होने पर चुनाव का बहिष्कार करना शामिल है।
गर्मी से बेहोश हुए बैतूल में विधायक महेंद्र
मध्य प्रदेश में जहां एक तरफ पहले चरण के मतदान पूरे हो चुके हैं। वहीं, दूसरी तरफ सेकेंड फेज के लिए प्रचार अभियान तेज हो गए हैं। इस दौरान बैतूल से हैरान करने वाला मामला सामने आया है।
दरअसल, बैतूल में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे भैंसदेही विधायक महेंद्र सिंह भी प्रचार करने में लगे हैं। इस दौरान चुनाव सभा के बीच में ही अचानक से बेहोश हो गए। उनके बेहोश होते ही आसपास के कार्यकर्ता मदद के लिए दौड़े और उनको तुरंत हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां ठंडी हवा मिलने पर उनकी हालत सामान्य हुई। बता दें कि इस समय एमपी में गर्मी का दौर चल रहा है। हालांकि इस दौरान बैतूल में गर्मी का असर नहीं है। गुरुवार को पारा 40 डिग्री पर था लेकिन शुक्रवार के दिन यह 37 डिग्री दर्ज किया गया था।
छिंदवाड़ा में हुई मारपीट
इस बार के लोकसभा चुनाव में सबसे चर्चित सीट छिंदवाड़ा लोकसभा सीट है। यहां पर कांग्रेस अपना गढ़ बचाने में लगी है। वहीं, बीजेपी इसे जीतने के लिए जोर आजमाइश कर रही हैं। पहले चरण में छिंदवाड़ा में भी वोटिंग हुई। इस दौरान यहां के वार्ड नंबर 25 के पाटनी टॉकीज के पास नकुल नाथ और बंटी साहू के समर्थकों के बीच झड़प हो गई।
कांग्रेस नेता के ऊपर अज्ञात बदमाशों ने किया हमला
नकुल नाथ और बंटी साहू के बीच हुई झड़प हाथापाई से उतरकर कुर्सियां फेंकने तक पहुंच गई। वहीं, दूसरी तरफ पांढुर्ना में कांग्रेस पर्यवेक्षक सुनील जुननकर पर किसी अज्ञात युवकों ने हमला कर दिया। उन बदमाशों ने मुंह को कपड़े से छुपा रखा था। पुलिस को बदमाशों के हमला करने के तरीकों से लुटेरे होने की आशंका जता रहे हैं।
मंडला में मतदान का किया बहिष्कार
जहां पूरे प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव के पहले चरण में हुई वोटिंग में बढ़ चढ़कर भाग लिया वहीं, मंडला में चुनाव के बहिष्कार करने का मामला सामने आया। जिले के बिछिया विधानसभा के इमलिया गांव के लोगों ने मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने पर चुनाव का बहिष्कार किया। उनका कहना था कि रोड नहीं तो वोट नहीं। हालांकि अधिकारियों के मनाने के बाद ग्रामीण वोट डालने को राजी हुए।