नई दिल्ली:
जरा सोचकर देखिए… अखबार के पन्नों में आपको खबर पढ़ने को मिले कि एक ही कोर्ट से दो महीनों के भीतर 2000 से ज्यादा मुल्जिमों को जमानत मिल गई। हो सकता है, आपको लगे कि कोर्ट बहुत तेजी से काम कर रही है। आप ये भी सोच सकते हैं कि शायद इन मुल्जिमों के खिलाफ पुलिस को सबूत नहीं मिले होंगे। लेकिन, क्या आप ये सोच सकते हैं कि जमानत देने वाला असली नहीं, बल्कि नकली जज था। और, जिन-जिन मुल्जिमों को उसने जमानत दी, वो सब उसके दोस्त या फिर साथी थे। चौंकिए मत, ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। जिस शख्स ने नकली जज बनकर ये फैसले सुनाए, उसका नाम था धनीराम मित्तल।
गुरुवार को हार्ट अटैक से धनीराम मित्तल का निधन हो गया। धनीराम को भारत का चार्ल्स शोभराज कहा जाता था। जालसाजी के उसके किस्सों की लिस्ट बहुत लंबी है। लेकिन, इनमें सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाला मामला वही था, जब वो नकली जज बन बैठा। बात 1970 के दशक की है। हरियाणा में झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ किसी मामले में विभागीय जांच के आदेश हो गए। धनीराम को जब इस बात का पता चला तो उसने एडिशनल जज के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा की। कहीं से उसने, उनका एड्रेस भी खोज निकाला।
एडिशनल जज के घर भेजी छुट्टी की नकली चिट्ठी
कुछ दिन बाद एडिशनल जज के घर एक लिफाफे में चिट्ठी पहुंची। चिट्ठी पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के साइन थे और मुहर भी लगी थी। एडिशनल जज को संबोधित करते हुए चिट्ठी में लिखा था, जब तक आपके खिलाफ चल रही विभागीय जांच पूरी नहीं होती, तब तक 2 महीने के लिए आपको छुट्टी पर भेजा जाता है। आदेश के मुताबिक एडिशनल जज ने 2 महीने के लिए कोर्ट जाना बंद कर दिया। ये चिट्ठी एडिशनल जज के पते पर धनीराम मित्तल ने भेजी थी। धनीराम के अंदर एक हुनर कुदरती थी। वो किसी के भी हूबहू साइन कर सकता था। किसी विभाग की मुहर बनवाना भी उसके लिए मुश्किल नहीं था।
धड़ाधड़ मंजूर की जमानत की अर्जियां
अब धनीराम ने एक चिट्ठी हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से झज्जर जिला कोर्ट को भेजी। इसमें लिखा था कि एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच पूरी होने तक एक नए जज कार्यभार संभालेंगे। अगले ही दिन धनीराम जज की ड्रेस पहनकर कोर्ट पहुंच गया। किसी को एहसास ही नहीं हुआ, कि जो शख्स जज की कुर्सी पर बैठा है, वो एक ऐसा चोर है, जो अलग-अलग राज्यों में 1000 से ज्यादा गाड़ियां चुरा चुका है। इसके बाद कोर्ट में हर दिन जमानत की अर्जियां आने लगीं। धनीराम ने धड़ाधड़ फैसले सुनाए और जमानत मंजूर करता गया।
पोल खुलने से पहले फरार हो गया धनीराम
नकली जज बनकर धनीराम ने दो महीने तक 2 हजार से भी ज्यादा कैदियों को जमानत दी। जिन्हें उसने जमानत दी, वो सभी या तो उसके दोस्त थे, या फिर चोरी में उसके साथी। दो महीने तक किसी को भनक नहीं लगी कि फैसले सुनाने वाला जज नकली है। जब लगा कि उसकी पोल खुलने वाली है, धनीराम फरार हो गया। ये धनीराम का केवल एक किस्सा था। पुलिस की फाइलों में उसके किस्से भरे पड़े हैं। वो इतना शातिर था, कि उसे कभी सुपर चोर तो कभी सुपर नटवरलाल के नाम से बुलाया जाता था।