चंडीगढ़ का जिक्र….साझा की क्रोनोलॉजी, सूरत में BJP की जीत को कोर्ट में चुनौती देगी कांग्रेस, जानें क्या है तैयारी

अहमदाबाद:

लोकसभा चुनावों की दूसरे चरण की वोटिंग से पहले बीजेपी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। सूरत में पार्टी कैंडिडेट मुकेश दलाल की जीत के बाद बीजेपी जहां जोश में हैं और पार्टी ने 400 पार के लक्ष्य के हासिल करने की हुंकार भरी है, तो वहीं दूसरी कांग्रेस अब चंडीगढ़ मेयर चुनाव की तर्ज पर इस मामले को कोर्ट ले जाने की तैयारी कर रही है। चुनाव आयोग के सामने सूरत प्रकरण को उठाने के बाद कांग्रेस की लीगल टीम इस पर विचार-विमर्श कर रही है। मुकेश दलाल बीजेपी के पहले ऐसे नेता है जो लोकसभ के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। सूरत की सीट बीजेपी का पुराना गढ़ है। इस सीट पर बीजेपी का 1984 से लगातार कब्जा है।

कोर्ट में चुनौती देगी कांग्रेस!
जानकारी के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कानूनी विकल्प खुले रखने की बात कहते हुए इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने का निर्देश दिया है। सूरत में नामांकन पत्रों की जांच के दौरान बीजेपी की तरफ से कांग्रेस कैंडिडेट के तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर फर्जी होने होने की आपत्ति दर्ज कराई गई थी।इसके बाद पहले कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी के प्रस्तावक गायब हो गए थे फिर नामांकन रद्द होने के बाद नीलेश कुंभाणी भी नॉट रीचेबल हो गए थे।

आठ कैंडिडेट ने वापस ली उम्मीदवारी
इसी बीच 22 अप्रैल को मैदान में बचे आठ अन्य कैंडिडेट ने अपना पर्चा वापस ले लिया। सबसे आखिर में बहुजन समाज पार्टी के कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ने अपना नामांकन वापस लिया। प्यारे लाल भारती के नामांकन वापस लेने के बाद मैदान में सिर्फ बीजेपी के कैंडिडेट मुकेश दलाल बचे। जिन्हें सूरत निर्वाचन अधिकारी/कलेक्टर ने सौरभ पारगी ने विजयी घोषित करते हुए जीत का प्रमाणपत्र दे दिया। कांग्रेस सूरत मामले को अब हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रही है।

कांग्रेस ने बोला हमला
कांग्रेस ने अपने बयान में कहा है कि सूरत जिला चुनाव अधिकारी ने सूरत लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी का नामांकन रद्द कर दिया है। कारण तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर के सत्यापन में खामी बताया गया है। यही आधार डमी कैंडिडेट सुरेश पडसाला के नामांकन को रद्द करने में रखा है। कांग्रेस ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि 7 मई 2024 को मतदान से लगभग दो सप्ताह पहले ही 22 अप्रैल, 2024 को सूरत लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार को निर्विरोध जिता दिया गया।

कुंभाणी पर भी उठ रहे हैं सवाल
गुजरात की सूरत सीट पर बीजेपी की जीत के बाद अब राज्य बाकी बची 25 सीटों के लिए सात मई को वोट डाले जाएंगे। राज्य में बीजेपी इस जीत को भुनाने की कोशिश करेगी तो वहीं कांंग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर विक्टिम कार्ड खेल सकती है। कांग्रेस पार्टी जहां एक तरफ इस मामले को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी के ऊपर भी कुछ उंगलियां उठ रही हैं। नामांकन रद्द होने यानी के 21 अप्रैल की दोपहर से वहां पार्टी नेताओं के संपर्क में नहीं है। नीलेश कुंभाणी ने अभी तक इस मुद्दे पर आकर अपनी पूर बात विस्तृत तरीके से मीडिया के सामने नहीं रखी है।

क्या है कांग्रेस की दलील?
कांग्रेस की दलील है कि नामांकन पत्र को गलत तरीके से रद्द किया गया है। कांग्रेस का कहना है कि कानून के प्रावधान के अनुसार यदि कैंडिडेट के नामांकन पत्र में अगर प्रस्तावक के हस्ताक्षर नहीं है तो इस स्थिति फॉर्म रद्द हो सकता है, लेकिन अगर प्रस्तावक इनकार कर देता है कि यह मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं, तो फॉर्म रद्द करने का कानून में कोई प्रावधान नहीं है। कांग्रेस का दूसरा तर्क है कि फॉर्म पर समर्थक के हस्ताक्षर और शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कि यह मेरा नहीं है, दोनों को फोरेंसिक लैब में भेजा जाना चाहिए था। अगर ये हस्ताक्षर एक जैसे हैं तो फॉर्म रद्द नहीं किया जा सकता। कांग्रेस के नेताओं का यह भी कहना है कि जिस तरह से सूरत में सबकुछ घटित हुआ है वह संदेह पैदा करता है।

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