छत्तीसगढ़ में टिकट बंटवारे को लेकर BJP से खफा है साहू समाज? क्या ये नाराजगी कांग्रेस को दिलाएगी फायदा

रायपुर,

लोकसभा के दूसरे चरण के तहत आज छत्तीसगढ़ की तीन सीटों पर मतदान हुआ. चुनाव आयोग से मिले आंकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 72.61 फीसदी मतदान हुआ. कांकेर में 73.84 फीसदी, महासमुंद में 71.13 और राजनांदगांव में 72.93 फीसदी मतदान हुआ. छत्तीसगढ़ का जातीय समीकरण बेहद जटिल है. यहां अनुसूचित जनजाति (एसटी) 33 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) 13 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज की आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है. जो कि लगभग 2.93 करोड़ होती है.

छत्तीसगढ़ में ओबीसी के तहत आने वाला साहू समाज राज्य की आबादी का लगभग 20 प्रतिशत है. जो कि इस लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी से काफी नाराज बताया जा रहा है. अतीत के आंकड़ों पर नजर डालें तो साहू समाज ने इतिहास में कई चुनावों में भाजपा का समर्थन किया है, लेकिन इस बार ‘हृदय परिवर्तन’ की वजह से कांग्रेस को बड़ा फायदा हो सकता है.

राजनीतिक विशेषज्ञ राम अवतार तिवारी के अनुसार छत्तीसगढ़ की 1.35 करोड़ ओबीसी आबादी में साहू समाज का दबदबा सबसे ज्यादा है. इसके बाद यादव (18 प्रतिशत) और कुर्मी समाज की आबादी 6-7 फीसदी है.

2014 में साहू समाज से 3, बीजेपी से 2 और कांग्रेस से एक सांसद थे. 2019 में यह संख्या घटकर 2 रह गई. भाजपा से जुड़े दोनों सांसद बिलासपुर और महासमुंद लोकसभा सीटों से जीतकर आए थे. अगर बात 2018 के विधानसभा चुनाव की करें तो दोनों पार्टियों (बीजेपी-कांग्रेस) ने 22 साहू कैंडिडेट्स को टिकट दिया था. इनमें से चार सीटों पर तो आलम ये था कि दोनों तरफ से साहू उम्मीदवार थे.

विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के पांच उम्मीदवार जीते, वहीं भाजपा के केवल एक उम्मीदवार ने जीत हासिल की. हालांकि 2023 में तस्वीर बदल गई. जब भाजपा और कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारे गए साहू समाज के 12 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां 10 साहू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. तो वहीं कांग्रेस ने 9 साहू कैंडिडेट्स को टिकट दी थी.

साहुओं ने पिछले 2 दशकों में परंपरागत रूप से भाजपा को वोट दिया है, क्योंकि भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में समाज से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि इस बार तस्वीर बदल गई है. साहूओं ने भाजपा से 2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की मांग की, लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया. राजनीतिक विशेषज्ञ तिवारी ने बताया कि बिलासपुर से केवल एक तोमन साहू को मैदान में उतारने से भाजपा के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है, जिससे कांग्रेस भी इस असंतोष को महसूस कर रही है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समाज तक पहुंचे और धमतरी में अपने एक भाषण में उन्होंने दावा किया कि वह भी साहू समाज से हैं.

बीजेपी से नाराजगी की ये है वजह
छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के प्रमुख टहल सिंह साहू ने आजतक को बताया कि 3 अप्रैल को एक बैठक हुई और कई जिलों के सभी हितधारकों ने भाजपा के प्रति अपना असंतोष व्यक्त किया. हमने साहू उम्मीदवारों के लिए प्रत्येक पार्टी से दो-दो टिकटों की मांग की थी, जब भाजपा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो इससे समाज के भीतर बहुत गुस्सा पैदा हुआ. मेरा मानना ​​है कि इस फैसले ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है और लंबे समय तक ऐसा जारी रह सकता है.

क्या बोले बीजेपी प्रवक्ता?
भाजपा प्रवक्ता अमित साहू ने कहा कि पार्टी ने हमेशा समाज का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है, उन्होंने कहा कि अरुण साव को पार्टी प्रमुख बनाया गया था, जिसके बाद उन्हें उप मुख्यमंत्री पद पर पदोन्नत किया गया था. उन्होंने कहा कि ‘इस बार साहू समाज पीएम मोदी के चेहरे पर वोट करेगा और किसी पर नहीं.

पहले भी बीजेपी से नाराजगी जाहिर कर चुका है साहू समाज
साहूओं ने अन्य मामलों में भी बीजेपी से अपनी नाराजगी जाहिर की है. पिछले महीने साहू समाज ने कबीरधाम जिले के पंडरिया थाने का घेराव किया था और पोंडी-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया था. हाल ही में भाजपा ने नगर पंचायत पंडरिया में लोकसभा चुनाव के लिए विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया था. इस सम्मेलन में कवर्धा विधायक और डिप्टी सीएम विजय शर्मा, पंडरिया विधायक भावना बोहरा और सांसद संतोष पांडे समेत पार्टी के शीर्ष नेता शामिल हुए.

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