रोहतास
बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछ चुकी है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने योद्धा चुनावी मैदान में उतार चुके हैं। इसमें भोजपुरी कलाकारों के नाम भी शामिल हैं। मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव पहले से ही राजनीति में अपनी पहचान बना चुके हैं। वहीं, कुछ भोजपुरी सितारे पहली बार चुनावी मैदाने में उतर रहे हैं। भोजपुरी गायक गुंजन सिंह नवादा से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, पावर स्टार पवन सिंह को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब वे काराकाट से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं। 9 मई को नामांकन करेंगे। दूसरी ओर भोजपुरी कलाकारों का सियासी इतिहास काफी रोचक रहा है। चुनावी मैदान में उतरने वाला कोई भी भोजपुरी कलाकार पहली बार में जीत नहीं पाया है। सभी को हार का सामना करना पड़ा है।
पवन सिंह ने 2017 में थामा था बीजेपी का हाथ
‘लॉलीपॉप लागेलू’ से फेमस हुए भोजपुरी सिंगर-एक्टर पवन सिंह ने 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि पार्टी उन्हें चुनाव लड़ा सकती है। इन सबके बीच, 2 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से लिस्ट जारी की जाती है। सूची में पवन सिंह का नाम भी शामिल था। पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल की आसनसोल संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया था। लिस्ट में नाम आने के बाद पवन सिंह ने बीजेपी नेतृत्व को इसके लिए धन्यवाद दिया था। हालांकि, अगले ही दिन पवन सिंह ने चुनाव न लड़ने की बात कहकर सबको चौंका दिया।
सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि किसी कारणवश वे आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसके बाद यह अटकलबाजी हुई कि पवन सिंह आरा सीट के लिए इच्छुक थे। जनवरी में उन्होंने संकेत दिया था कि अगर आरा से टिकट मिलता है तो वे चुनाव लड़ेंगे। कुछ दिनों बाद ही पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने लिखा था कि अपने समाज, जनता और मां से किया हुआ वादा पूरा करने के लिए चुनाव जरूर लड़ूंगा। इसके कुछ दिन बाद उन्होंने ऐलान किया कि मां के आदेश पर काराकाट सीट चुनाव लड़ूगा। 23 अप्रैल को रोड शो कर पवन सिंह ने एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के साथ-साथ महागठबंधन को भी हैरान कर दिया। इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या पवन सिंह भोजपुरी एक्टर के पुराने रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे?
भोजपुरी कलाकारों का इतिहास बेहद खराब
भोजपुरी कलाकारों का चुनावी इतिहास देखें तो बहुत ही खराब रहा है। कुणाल से लेकर रवि किशन तक, सभी को पहली बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। सबसे पहले मनोज तिवारी की चुनावी इतिहास पर नजर डालते हैं। ‘रिंकिया के पापा’ से फेमस मनोज तिवारी ने 2009 में समाजवादी पार्टी के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 15वीं लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ ने उन्हें पराजित कर दिया था। इसके बाद 2011 में मनोज तिवारी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़ गए।
शाह-मोदी ने जताया भरोसा
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मनोज तिवारी 3 अक्टूबर 2013 को भाजपा में शामिल हो गए। उस समय के दिल्ली चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था। शाह-मोदी की जोड़ी ने मनोज तिवारी की क्षमता पर भरोसा जताया। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें दिल्ली उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया। भरोसे पर खरे उतरते हुए मनोज तिवारी ने जीत हासिल की। उन्होंने AAP प्रत्याशी आनंद कुमार को 1,44,084 मतों के अंतर से हराया था। 2016 में उन्हें दिल्ली का भाजपा अध्यक्ष बनाया गया।
पिछले चुनाव में तीन बार की मुख्यमंत्री को हराया
दिल्ली की राजनीति में खास पहचान बना चुके मनोज तिवारी को 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से दिल्ली उत्तर पूर्वी सीट से उम्मीदवार बनाया गया। इस बार उनकी टक्कर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित से थी। मोदी लहर के बीच यह सीट बीजेपी के पाले में आ गई। मनोज तिवारी ने शीला दीक्षित को 3,66,102 मतों के अंतर से पराजित किया था। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी को फिर से दिल्ली उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट से टिकट मिला है।
रवि किशन ने जौनपुर सीट से लड़ा था पहला चुनाव
भोजपुरी सहित हिंदी, तेलुगू, कन्नड़, तमिल फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता रवि किशन ने 2014 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से मैदान में उतरे, लेकिन हार गए। इस सीट पर उन्हें केवल चार प्रतिशत वोट ही मिले थे। वे छठे स्थान पर रहे। चुनाव हारने के बाद 2017 में रवि किशन ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
2019 में गोरखपुर से लड़ा चुनाव
रवि किशन ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सांसदीय सीट गोरखपुर से चुनाव लड़ा था। भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामभुआल निषाद से था। किशन ने 3,01,664 वोटों के अंतर से रामभुआल निषाद को हराया। किशन को 7,17,122 वोट मिले, जबकि निषाद को 4,15,458 वोट मिले। 2024 के चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर गोरखपुर सीट पर रवि किशन को अपना प्रत्याशी बनाया है।