राहुल गांधी के इस बयान पर आगबबूला हो गया राजपूत समाज, बीजेपी ने भी काटा बवाल

नई दिल्ली

दो चरणों का मतदान पूरा होने के बाद नेताओं की बयानबाजी को लेकर विवाद भी खड़े होने लगे हैं। हर राजनीतिक दल का नेता दूसरे से माफी मांगने की बात कर रहा है। हाल ही में राहुल गांधी के एक बयान को लेकर भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने उनसे माफी मांगने की बात करने लगे हैं। अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का राजपूत समाज पर दिए बयान का वीडियो शेयर किया है। उन्होंने राहुल गांधी से तुरंत राजपूत समाज से माफी मांगने की मांग की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी के कर्नाटक के बेल्लारी में दिए भाषण की 24 सेकेंड की एक वीडियो क्लिप शेयर की है।

राहुल गांधी ने राजाओं-महाराजाओं पर किया था कमेंट
वीडियो में राहुल गांधी बोल रहे हैं, “राजाओं महाराजाओं का राज था जो भी वह चाहते थे वह कर देते थे किसी की जमीन चाहिए होती थी, वह उठा कर ले जाते थे। कांग्रेस पार्टी और हमारे कार्यकर्ताओं ने देश की जनता के साथ मिलकर आजादी प्राप्त की लोकतंत्र लाये और देश को संविधान दिलवाया।”

कई जगह भाजपा के खिलाफ भी हो रहा विरोध
राहुल गांधी के बयान पर राजपूत समाज ने नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे अपने लिए अपमानजनक बताया है और इसका विरोध करने का फैसला किया है। उन्होंने उनके बयानों की कठोर निंदा करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। दूसरी तरफ भाजपा का भी विरोध हो रहा है। रोजाना कई स्थानों पर राजपूत समुदाय के सदस्य सौराष्ट्र और राज्य के अन्य हिस्सों में भाजपा के चुनाव अभियान कार्यक्रमों पर विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस तरह के विरोध प्रदर्शनों ने जामनगर, साबरकांठा, पाटन, भावनगर, सुरेंद्रनगर और अन्य स्थानों पर भाजपा के अभियान को बाधित किया है। भाजपा अब अपने ट्रंप कार्ड प्रधानमंत्री पर भरोसा कर रही है, जो 1-2 मई को राज्य में छह रैलियां और एक रोड शो करने वाले हैं।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला की विवादास्पद टिप्पणी पर भी विवाद खड़ा हो गया था। उनके बयान का क्षत्रिय (राजपूत) समुदाय द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहा था। रूपाला ने कहा था कि पूर्व राजाओं और राजघरानों ने औपनिवेशिक ब्रिटिशों से मित्रता की, रोटी तोड़ी और उनके साथ वैवाहिक संबंध बनाए।

टिप्पणियों के बाद रूपाला ने कई बार माफी मांगी है, लेकिन राजपूत लोग गांवों और कस्बों में भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने पार्टी के खिलाफ वोट देने की कसम भी खाई है। अब तक सरकार, सत्ताधारी पार्टी के नेताओं और राजपूत समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच कई बैठकों के बावजूद मामला सुलझ नहीं सका है।

 

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