मुंबई:
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों के बाद पर्दे के पीछे की सियासत गर्म है। बीजेपी के अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से दूरी बनाने की अटकलों के बीच चर्चा शुरू हो गई है कि क्या महायुति में अजित पवार अकेले पड़ते जा रहे हैं। यह चर्चा इसलिए शुरू हुई है क्यों अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने राज्यसभा चुनाव के जब नामांकन दाखिल किया तो उस मौके पर बीजेपी और शिवसेना से कोई उपस्थित नहीं रहा। लोकसभा चुनावों में जब उन्होंने बारामती से नामांकन दाखिल किया था। तो उस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मौजूद रहे थे। राज्यसभा चुनावों के लिए सुनेत्रा पवार ने 13 जून को नामांकन दाखिल किया था। इस मौके पर एनसीपी के नेता मौजूद रहे थे।
क्या दूरी बना रहे हैं सहयोगी?
लोकसभा चुनावों में सबसे खराब प्रदर्शन अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी का रहा है। पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़ी थी। वह सिर्फ एक सीट पर जीती। इसमें बारामती में सुनेत्रा पवार की हार ने अजित पवार के कद को कमजाेर कर दिया है। एनसीपी का स्ट्राइक रेट सिर्फ 25 प्रतिशत रहा। बीजेपी 28 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़कर 9 सीटें जीती है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को 15 सीटें मिली थी। इसमें पार्टी ने 7 सीटें जीती हैं। लोकसभा चुनावों के बाद इस बाद की अटकलें लग रही है कि बीजेपी एनसीपी से दूसरी बना सकती है। ऐसा भी हो सकता है विधानसभा चुनावों से पहले अजित पवार महायुति से बाहर हो जाएंगे। इस सब के बीच सुनेत्रा पवार के नामांकन में बीजेपी और शिवसेना नेताओं की गैरमौजूदगी ने इन अटकलों को और मजबूती दे दी है।
क्यों नहीं पहुंचे सहयोगी दलों के नेता?
राज्यसभा की यह एनसीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के इस्तीफे की वजह से खाली हुई थी। इस सीट पर छगन भुजबल भी दावेदार थे। नामांकन के बाद उन्होंने इस बात को स्वीकार भी किया था। भुजबल ने कहा था कि हमने सर्वसम्मति से दिल से फैसला लिया है।राज्यसभा के लिए सुनेत्रा का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है। सिर्फ आधिकारिक घोषणा ही बाकी है, लेकिन बीजेपी और शिवसेना नेताओं की गैरहाजिरी को बड़ा संकेत माना जा रहा है। हालांकि एनसीपी के अध्यक्ष सुनील तटकरे इस संभावना से इनकार कर रहे हैं कि महायुति में कोई नाराजगी है। उन्होंने नामांकन के बाद कहा था कि सुनेत्रा पवार की उम्मीदवारी घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को फोन पर इस बात की जानकारी दी गई थी। तटकरे महायुति में नाराजगी को गलत करार दिया था। सुनेत्रा पवार का कार्यकाल जुलाई, 2028 तक होगा।