कर्नाटक में किसको दीवार पर लटकाएगी कांग्रेस? मल्लिकार्जुग खरगे के गृह राज्य में गुटबाजी बनी चुनौती

बेंगलुरु

कर्नाटक में कांग्रेस ने सालभर पहले जीत हासिल करके सरकार बनाई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद कर्नाटक कांग्रेस में खींचतान दिख रही है। इसने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की चिंता बढ़ा दी है। सीएम सिद्धारमैया की तरफ से राज्य में तीन डिप्टी सीएम बनाने की मांग की गई है तो वहीं इकलौते उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के समर्थन में वोक्कालिगा समुदाय के संत भी सामने आ गए हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस कर्नाटक कांग्रेस में शुरू हुई कलह से कैसे निपटती है? पिछले दिनों जब महाराष्ट्र कांग्रेस की गुटबाजी हाईकमान तक पहुंची थी तो मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था गुटबाजी खत्म कराे। राज्य में एक धड़ा वर्षा गायकवाड़ को हटाने की मांग कर रहा था तो दूसरा धड़ा मौजूदा प्रदेश प्रमुख नाना पटोले को। वर्षा गायकवाड़ मुंबई कांग्रेस की प्रमुख हैं। मीडिया में सामने आई जानकारी के अनुसार तब वहां मौजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ने महाराष्ट्र के प्रभारी रमेश चेन्निथला को कहा, इन सब लोगों को बैठकर समझाइए और अगर नहीं मानते तो कुछ लोगों का शिकार करके दीवार पर लटका दीजिए।

सिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार
बीजेपी की तरह कांग्रेस में एक पद एक व्यक्ति का सिद्वांत नहीं है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार चुनावों में चाणक्य बनकर उभरे थे, लेकिन राज्य में डिप्टी सीएम के साथ कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति (KPCC) के प्रमुख बने हुए हैं। राज्य में जहां नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठा रही है, यानी कि सिद्धारमैया को हटाने के लिए दबाव बन रहा है तो वहीं दूसरी तरफ से प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग तेज हो रही है। सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। ऐसे में डीके शिवकुमार कतई नहीं चाहेंगे कि सरकार में और डिप्टी सीएम बने। इसके बाद उनका कद हल्का हो।सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार समर्थकों की प्रेशर पॉलिटिक्स क्या अंजाम लेती है? यह आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन कांग्रेस की कलह मल्लिकार्जुन खरगे के लिए चुनौती बन रही है। यही वजह है कि कर्नाटक में एक तीन डिप्टी सीएम और डीके को सीएम बनाने की मांग के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया 28 जून को दिल्ली पहुंचे। वह खरगे से मिले। अब देखना यह है कि कर्नाटक कांग्रेस में शुरू हुआ घमासान थमता है या फिर नहीं।

क्याें उठा रही है ये मांग?
सिद्धारमैया समर्थक की दलील है कि राज्य में कई डिप्टी सीएम रहे चुके हैं। राज्य में जब बी एस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अपने 1 साल 340 दिन के कार्यकाल में तीन डिप्टी सीएम रखे थे। जब जगदीश शेट्‌टार मुख्यमंत्री थे, तब भी बीजेपी सरकार में दो डिप्टी सीएम थे। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने 42.88 प्रतिशत वोट हासिल करके 135 सीटें जीती थी। बीजेपी को 36 प्रतिशत वोट मिले थे। वह सिर्फ 66 सीटें जीत पाई थी। 2018 के चुनावों की तुलना में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में 4.74 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। बीजेपी का वोट शेयर लगभग वहीं रहा था। उसके वोट शेयर में 0.35 प्रतिशत की कमी आई थी और उसने 38 सीटें गंवा दी थीं। लोकसभा चुनावों की बात करें तो इस बार कांग्रेस की सीटें बढ़ी हैं लेकिन कांग्रेस अपनी सीटों को दोहरे अंकों में नहीं ले जा पाई। कुल 28 सीटों में बीजेपी को 17, कांग्रेस को 9 और जेडीएस ने दो सीटें जीतीं। बीजेपी को 46.06 फीसदी वोट मिले यानी 1 करोड़ 77 लाख, 97 हजार 699 वोट मिले। तो वहीं कांग्रेस को 45.45 प्रतिशत वोट मिले। पार्टी को कुल 1 करोड़ 75 लाख, 54 हजार 381 वोट मिले। कांग्रेस को बीजेपी से सिर्फ दो लाख 43 हजार 318 वोट कम मिले, लेकिन कांग्रेस की सीट ने नौ और बीजेपी ने 17 सीटें जीतीं। 2019 के चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर 51.38 रहा था जबकि कांग्रेस को 31.88% वोट मिले थे। तब बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए कांग्रेस जोडीए अलायंस को 1-1 सीट पर समेट दिया था।

कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी कर्नाटक में बीजेपी ने अलायंस के साथ मिल 19 सीटें जीती हैं। यही वजह है कि मोदी 3.0 में बीजेपी ने कर्नाटक से कुल पांच मंत्री बनाए हैं। इतना ही नहीं प्रज्वल रेवन्न प्रकरण के बाद भी बीजेपी ने जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी को कैबिनेट में रखा है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि बीजेपी के इस दांव ने कांग्रेस की बेचैनी बढ़ाई है। बीजेपी ने निर्मला सीतारमण, प्रहलाद जोशी, शोभा करंदलाजे, वी सोमन्ना चार नेता मंत्री बने हैं। अब देखना यह है कि महाराष्ट्र की गुटबाजी पर कड़ा संदेश देने वाली कांग्रेस कर्नाटक के शुरू हुए घमासान से कैसे निपटती है?

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