नई दिल्ली
भारत में वर्तमान में बेरोजगार सभी लोगों को रोजगार देने के लिए अगले पांच सालों में ढाई करोड़ से अधिक नौकरियों की आवश्यकता है। देश में बेरोजगारी की स्थिति पर भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने ‘द हिंदू’ में लिखे एक लेख में यह आंकड़ा दिया है। साथ ही, कहा है कि मोदी सरकार पर्याप्त नौकरियां देने में कामयाब नहीं रही है।
लेख के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार ने दावा किया है कि जीडीपी के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले साल 8% की गति से बढ़ी है। अगर यह दावा सच भी है तो भी इससे भारत में मौजूदा बेरोजगारी के हिसाब से पर्याप्त संख्या में नौकरियां पैदा नहीं हुई हैं।आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 15 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए बेरोजगारी दर 2021 में 4.2% थी जो 2023 में गिरकर 3.1% हुई है, लेकिन यह 8% की जीडीपी वृद्धि दर के अनुरूप नहीं है।
बढ़ी अमीर और गरीब के बीच खाई
पिछले दो दशकों में अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर काफी बढ़ गया है। इसके अलावा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा के शासनकाल में पिछले एक दशक में धन की असमानता में भी वृद्धि हुई है। भारत की लगभग 1% आबादी के पास अब देश की 40% संपत्ति है। यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए भयानक है।
देश में रोजगार के बाजार की स्थिति हाल ही में आई अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट से भी समझी जा सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार नियमित कामगारों की मासिक आय के हिसाब से आंकड़ा इस चार्ट में देखा जा सकता है। इसके मुताबिक 20 हजार से ज्यादा आय वाले कामगार 15 फीसदी से भी कम हैं।
मोदी सरकार का दावा- 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले
सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं, सार्वजनिक बैठकों में प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल के पिछले नौ वर्षों में जीडीपी ग्रोथ के कारण 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। सरकारी अर्थशास्त्रियों का यह भी दावा है कि मोदी सरकार निरंतर और तीव्र गति से आर्थिक विकास करने में सफल हुई है।
वास्तव में चुनावी नतीजों ने सरकार के इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। मतदाताओं ने भी इस दावे को अस्वीकार किया है जो लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम से साफ पता चलता है जहां बीजेपी अपने दम पर 240 सीटें ही जीत पायी है और अन्य पार्टियों के सहयोग से केंद्र में एनडीए की सरकार है।
कितनी है जीडीपी ग्रोथ रेट
मोदी सरकार अक्सर दावा करती है कि 2023-24 में 8.2% की जीडीपी ग्रोथ रही जो 2022-23 में 7% के ग्रोथ रेट से ज्यादा है। हालांकि, इसकी गणना कैसे की गई, इसका खुलासा नहीं किया गया है। 2019-20 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8% से गिरकर 3.8% हो गया। 2015-16 में जीडीपी ग्रोथ रेट लगभग 8% थी।
अगर 1 जनवरी 2020 से 31 मार्च 2020 तिमाही की 1 जनवरी 2019-31 मार्च 2019 से तुलना की जाये तो जीडीपी ग्रोथ घटकर 3.4% वार्षिक रह गई। इसलिए वित्त मंत्रालय द्वारा 2023-24 में बताई गई 8.2% की ग्रोथ सही नहीं लगती है। साथ ही यह भी सवाल है कि क्या इसे 2024-25 में भी बरकरार रखा जा सकेगा।
कम हुनर वाले लोगों की संख्या बढ़ रही नौकरियों में
देशभर में नौकरियों की बात की जाए तो कृषि क्षेत्र में 92% नौकरियां असंगठित क्षेत्र में हैं। उद्योग और सेवाओं में, 73% नौकरियां छोटे और मध्यम वर्गों में हैं। वहीं सरकारी और फॉर्मल प्राइवेट सेक्टर में केवल 27% नौकरियां हैं।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा बेरोजगारी ग्रेजुएट या उससे अधिक डिग्री धारक लोगों के बीच है। वहीं, टेक्निकल डिग्री वाले युवाओं में वर्क पॉपुलेशन रेशियो में फॉर्मल वोकेशनल ट्रेनिंग वाले युवाओं की तुलना में अधिक गिरावट देखी गई।
शिक्षित युवाओं में बढ़ी बेरोजगारी
भारत में शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी बढ़ी है। पिछले 22 साल में माध्यमिक या उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ी है। साल 2000 में सभी बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी 54.2 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई। शिक्षित (माध्यमिक स्तर या उससे ऊपर) बेरोजगार युवाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी (76.7 प्रतिशत) पुरुषों (62.2 प्रतिशत) की तुलना में ज़्यादा है। भारत में काम की तलाश में लगे कुल बेरोजगारों में 83 प्रतिशत युवा हैं। लगभग 90% श्रमिक अनौपचारिक काम में लगे हैं।